पिछले साल सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक बार फिर से चर्चा में है। कानूनों को निरस्त करने की माँग को लेकर किसान बीते कई महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे गुरुवार (22 जुलाई 2021) से जंतर-मंतर पर किसान संसद आयोजित करेंगे। सिंघू बॉर्डर पर विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि गुरुवार से 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएँगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ मंगलवार (20 जुलाई) को हुई बैठक में किसान नेता ने कहा कि हम अपनी माँगों को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे। कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा, जहाँ मॉनसून सत्र चल रहा है। भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा, “हमारे 200 लोग गुरुवार कसे 4-5 बसों में सिंघू बॉर्डर से जाएँगे। हम विभिन्न प्रदर्शन स्थलों से सिंघू बॉर्डर पर जमा होकर जंतर-मंतर की ओर बढ़ेंगे। संसद का मॉनसून सत्र खत्म होने तक हम जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे।”
Our 200 people will go from Singhu border in 4-5 buses tomorrow. We’ll gather (from different protest sites) at Singhu border & head towards (Jantar Mantar). We’ll protest at Jantar Mantar until the Monsoon session of Parliament is over: Bharatiya Kisan Union leader Rakesh Tikait pic.twitter.com/RiIfNbecAC
— ANI (@ANI) July 21, 2021
पीटीआई ने राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का के हवाले से बताया है कि 22 जुलाई से हर दिन 200 किसान पहचान पत्र लगाकर सिंघू बॉर्डर से सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पहुँचकर धरना प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने दिल्ली पुलिस को आश्वसत किया है कि यह विरोध शांतिपूर्ण होगा।
Delhi government grants permission to farmers to stage a protest at Jantar Mantar tomorrow, subject to following all COVID protocols: Sources
— ANI (@ANI) July 21, 2021
दिल्ली पुलिस के अनुसार, संसद के पास विरोध-प्रदर्शन के लिए कोई लिखित अनुमति नहीं दी गई है। हालाँकि, स्पेशल सीपी (क्राइम) और ज्वाइंट सीपी ने जंतर-मंतर का दौरा किया है, जहाँ विरोध प्रदर्शन होना है। एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि दिल्ली सरकार ने जंतर-मंतर पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों को विरोध-प्रदर्शन की अनुमति दी है। गुरुवार को सिंघू बॉर्डर पर 3,000 अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ दिल्ली पुलिस के कम से कम 2,500 जवानों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा, असामाजिक तत्वों को दिल्ली में जबरदस्ती घुसने से रोकने के लिए दंगा विरोधी बल को वाटर कैनन और आँसू गैस के गोले के साथ तैयार रखा गया है।
इसके अलावा पुलिस ने आधिकारिक तौर पर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने और संसद भवन के पास एकजुट होने के लिए सख्त मना किया है। पुलिस ने उन्हें कोविड दिशा-निर्देशों के कारण अपनी विरोध योजना पर पुनर्विचार करने की भी सलाह दी है।
Delhi government grants permission to farmers to stage a protest at Jantar Mantar tomorrow, subject to following all COVID protocols: Sources
— ANI (@ANI) July 21, 2021
गौरतलब है कि 26 जनवरी को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान बैरिकेड्स तोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हो गए थे और आईटीओ सहित अन्य स्थानों पर उनकी पुलिसकर्मियों से झड़पें हुई थीं। उन्होंने करोड़ों की संपत्ति का नुकसान पहुँचाया और 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया था। कई प्रदर्शनकारी लाल किले पर पहुँच गए और ऐतिहासिक स्मारक में प्रवेश कर गए उसकी प्राचीर पर धार्मिक झंडा लगा दिया था। इस दौरान ऐसी कई रिपोर्ट्स भी आई थीं, जिनमें कहा गया था कि खालिस्तानी आतंकवादियों और नक्सलियों से सहानुभूति रखने वालों ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की थी।
बता दें कि किसान तीन नए कृषि कानूनों का विरोध करने का दावा करते हैं जो किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 है। उनका दावा है कि ये कानून किसानों के खिलाफ हैं, लेकिन वास्तव में ये किसानों को मंडियों के एकाधिकार से बेहतर बाजार और स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। अब तक सरकार की किसान यूनियनों के साथ दस दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच गतिरोध अभी भी बना हुआ है। वहीं, किसान नेताओं ने अब पंजाब में चुनाव लड़ने में दिलचस्पी दिखाई है।