राजधानी दिल्ली में प्रदूषण रोकने के लिए 4 नवंबर से 15 नवंबर तक ऑड-इवन स्कीम लागू की जाएगी। इसे रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाएँ डाली गई थीं। शुक्रवार (1 नवंबर) को इन याचिकाओं को सुनने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ता अपनी बात लेकर दिल्ली सरकार के पास जाएँ।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो ऑड-इवन स्कीम के ख़िलाफ़ याचिकाओं पर विचार करे और इन याचिकाओं का 5 नवंबर से पहले क़ानून के अनुसार निपटारा करे। हालाँकि, सभी याचिकाकर्ता अगर दिल्ली सरकार से संतुष्ट नहीं हुए तो वो दोबारा कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं।
Delhi High Court directs Delhi Government to consider the PILs filed against the #OddEven scheme as a representation and deal with it as per law, before 5th November. There were bunch of PILs raising questions on the scheme including the exclusion of CNG vehicles. pic.twitter.com/iwAyhbCFm2
— ANI (@ANI) November 1, 2019
दरअसल, इन याचिकाओं में से कुछ याचिकाएँ ऑड-इवन नियम को लागू होने से रोकने के लिए डाली गई थी। साथ ही कुछ याचिकाएँ CNG कारों को इस नियम से छूट न दिए जाने ख़िलाफ़ थी। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने यह दलील भी दी थी कि महिला चालकों को छूट देकर समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है। इस पर शाश्वत भारद्वाज द्वारा याचिका में कहा गया कि लिंग के आधार पर नियम में भेदभाव करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है, इसलिए यह योजना अदालत को रद्द कर देनी चाहिए क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन है।
बता दें कि पहले की तरह इस बार भी दोपहिया वाहनों को को ऑड-इवन नियम में छूट दी गई है, लेकिन 5 लाख CNG वाहनों को दिल्ली सरकार ने छूट नहीं दी है। CNG गाड़ियों को छूट नहीं देने के साथ अन्य माँगों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाएँ दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर कोर्ट आगे सुनवाई करेगा।