वारिस पठान के बयान और शाहीन बाग़ की दादियों की जहालत के कारण जली दिल्ली: वसीम रिजवी

वसीम रिजवी ने कहा AIMIM के नेता वारिस पठान के बयान का कारण है दिल्ली हिंसा

दिल्ली में CAA विरोध के नाम पर हुई हिंसा के लिए शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने AIMIM के नेता वारिस पठान को जिम्मेदार ठहराया है। हिंसा के पीछे वारिस पठान के उस बयान को कारण बताया गया है, जिसे बीते दिनों कर्नाटक के गुलबर्ग में दिया गया था। दिल्ली हिंसा को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने दिल्ली में हो रही हिंसा को लेकर दिए अपने बयान में कहा कि दिल्ली हिंसा AIMIM के नेता वारिस पठान के बयान का नतीजा है। रिजवी का कहना है कि पठान के उस बयान के बाद ही दिल्ली में लोग उग्र हुए हैं।

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वसीम रिजवी ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे धरने पर तंज कसते हुए आगे कहा कि ये हिंसा शाहीन बाग में बैठी दादी और नानियों की जिहालत का नतीजा है। रिजवी ने प्रदर्शनकारियों से हाथ जोड़कर अपील की है कि कॉन्ग्रेसी जहर का प्याला लोग न पिएँ। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस के जाल में फँस कर हुकूमत के खिलाफ माहौल मत बनाओ। हुकूमत, देश और सीएए कानून हमारा है। आपस में लड़कर मरने वाले को कोई शहीद नहीं कहता।

इससे पहले रिजवी ने सीएए के ख़िलाफ विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर तंज कसते हुए कहा था कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो इस्लामिक दाढ़ी और बगैर मूँछ के डरावने चेहरे हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब को तार-तार कर देंगे। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा था कि शाहीन बाग जैसे हजारों धरने हो जाएँ, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। रिजवी ने पहले भी शाहीन बाग को अपना निशाना बनाते हुए कहा था कि शाहीन बाग का धरना हक माँगने कि लड़ाई नहीं है, बल्कि हिंदुओं का हक छीनने की जिद है।

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गौरतलब है कि कर्नाटक के गुलबर्ग में सीएए के ख़िलाफ आयोजित रैली में AIMIM के नेता वारिस पठान ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए कहा था,“उनकी संख्या अभी 15 करोड़ है, लेकिन ये 15 करोड़ 100 करोड़ पर भारी है। अगर ये 15 करोड़ साथ में आ गए, तो सोच लो उन 100 करोड़ हिंदुओं का क्या होगा?”। इस दौरान मंच पर पार्टी प्रमुख असदुद्दीन औवेसी भी मौजूद रहे। आपको बता दें कि वारिस पठान वही नेता हैं, जिनकी 2016 में महाराष्ट्र विधानसभा से सदस्यता इसलिए खत्म कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने सदन में भारत माता की जय बोलने से इनकार कर दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया