अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों के जाते ही जम्मू कश्मीर विशेष राज्य नहीं रहा और राज्य के पुनर्गठन का भी निर्णय लिया गया। अब जम्मू कश्मीर विधायिका सहित केंद्र शासित प्रदेश होगा वहीं लद्दाख विधायिका रहित केंद्र शासित प्रदेश होगा। 370 के पर कतरे जाने के बाद अब अखिल भारतीय संत समिति और विश्व हिन्दू परिषद सहित तमाम हिन्दू संगठन भी सक्रिय हो गए हैं क्योंकि सवाल राज्य में तोड़ डाले गए सैकड़ों मंदिरों व देवस्थानों का है।
दोनों ही संगठनों ने माँग की है कि जम्मू कश्मीर में ध्वस्त कर दिए गए 435 मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। संत समाज ने माँग की है कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो सरकार यह कार्य उन्हें ही सौंप दे। साथ ही मंदिरों को नुकसान पहुँचाने वाले असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई करने की माँग भी की गई है। हिन्दू संगठनों ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद वहाँ की कई मंदिरों को तोड़ डाला गया।
दोनों संगठनों ने सरकार को याद दिलाया कि विस्थापितों को राज्य में बसाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हिन्दू संगठनों ने कहा, “जो परिवार अपनी जन्मभूमि वापस नहीं जाना चाहते, उनकी संपत्ति का सरकार इस्तेमाल करे और ऐसे सभी परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। यह सब सरकार का दायित्व है।” संत समाज ने सरकार को अपने ही देश में शरणार्थी बन कर रह रहे कश्मीरी हिन्दुओं की याद दिलाते हुए उनकी भलाई के लिए काम करने को कहा।
अखिल भारतीय संत समिति ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का स्वागत। @BJP4India pic.twitter.com/ERLxoypijj
— Shailendra Mishra (@MishraShailu) August 8, 2019
राम मंदिर से सम्बंधित सुनवाई और अनुच्छेद 370 को लेकर शनिवार (अगस्त 10, 2019) को संत समाज की अहम बैठक भी होनी है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों व ताज़ा घटनाक्रम पर संगठन अपना रुख साफ़ करेगा। सम्मलेन में आगे की रणनीति भी तय जाएगी। संत समाज ने जनता को आश्वासन दिया कि राम मंदिर पर चल रही नियमित सुनवाई पर उसकी नजरें लगातार बनी हुई हैं।