मध्य प्रदेश के कद्दावर पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस के भोपाल प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने अप्रत्याशित रूप से एक सच की स्वीकारोक्ति की है। उन्होंने यह माना कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद से उनकी पार्टी में लिखने-पढ़ने की, मतलब विचारों के आदान-प्रदान की परिपाटी ख़त्म हो गई है। और अब उनकी पार्टी विचारधारा के लिए कम्युनिस्टों पर निर्भर है। उन्होंने यह बात सीपीआई के कार्यालय में दिए गए अपने भाषण के दौरान कही।
‘नेहरू जी के बाद कॉन्ग्रेस ने लिखने-पढ़ने पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया’
26/11 को संघ की साजिश बताने वाली किताब का विमोचन करने वाले दिग्विजय सिंह ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि पंडित नेहरू के बाद से किसी कॉन्ग्रेसी ने बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। आज भी सोच-विचार में उनकी पार्टी, भाकपा, माकपा, और यहाँ तक कि मार्क्सवादी-लेनिनवादी भाकपा (माले) से प्रेरणा लेती है।
प्रज्ञा से पार पाने को है कन्हैया कुमार का सहारा
दिग्विजय सिंह के खिलाफ़ भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। प्रज्ञा को कॉन्ग्रेस ने उसी काल्पनिक ‘हिन्दू आतंकवाद’ का चेहरा बनाने की पुरजोर कोशिश की थी जिसे दिग्विजय सिंह ने प्रचारित करने में कोई कसार नहीं छोड़ी थी। और भोपाल से सैकड़ों किलोमीटर दूर से बेगूसराय के सीपीआई प्रत्याशी कन्हैया कुमार वामपंथी वोटरों को इकट्ठा कर दिग्विजय सिंह की सहायता करने 8-9 मई को भोपाल आएँगे। दिग्विजय ने भी बदले में अहसान उतारते हुए अपनी पार्टी के गठबंधन कैंडिडेट के खिलाफ जाकर कन्हैया कुमार का समर्थन किया, और कन्हैया को गठबंधन का टिकट न दिए जाने को अपने गठबंधन की भूल बताया।
Digvijaya Singh:Main Kanhaiya Kumar ka samarthak hoon.Aur maine apne party mein bhi iss baat ko kaha ki RJD ne bohot badi galti ki hai aur maine koshish ki baat karne ki yeh seat CPI ko dena chahiye. Aur mujhe iss baat ki khushi hai 8 aur 9 ko vo prachar karne Bhopal aaraha hai. pic.twitter.com/acTIbiT1uZ
— ANI (@ANI) April 28, 2019