जम्मू-कश्मीर में पीडीपी को बड़ा झटका लगा है। महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के वरिष्ठ नेता व जम्मू एवं कश्मीर विधान परिषद के अध्यक्ष हाजी इनायत अली सहित कारगिल के कई प्रमुख नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। उन्होंने सोमवार (अगस्त 26, 2019) को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
Delhi: Peoples Democratic Party (PDP) leader Haji Anayat Ali joined Bharatiya Janata Party (BJP) today in presence of Union Ministers Dharmendra Pradhan and Gajendra Singh Shekhawat, earlier today. pic.twitter.com/QfdfuOFCCc
— ANI (@ANI) August 26, 2019
इनायत अली के अलावा लद्दाख स्वायत्तशासी पर्वतीय विकास परिषद, कारगिल के कार्यकारी पार्षद मोहम्मद अली हसन और 6 अन्य नेताओं ने भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की और पार्टी में शामिल हो गए। इनायत अली समेत अधिकतर नेता पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद इनायत अली ने कहा, “दो सालों में आप बदलाव देखेंगे। कई लोग जो भाजपा का आज विरोध कर रहे हैं, वे पार्टी को ज्वाइन करेंगे। उनके पास हमारे साथ आने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।”
उनका स्वागत करते हुए लद्दाख के सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने कहा कि केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने के निर्णय से लेह और कारगिल जिलों सहित पूरा क्षेत्र खुश है।
इनायत अली ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि मुस्लिम बहुल जिले कारगिल के लोगों ने भले ही लद्दाख के लिए केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा नहीं माँगा हो, लेकिन घोषणा के बाद वे खुश हैं क्योंकि इससे केंद्र मामलों को सीधे तौर पर देखेगा। जिसमें विकास परियोजनाएँ भी शामिल हैं।
भाजपा ने बताया कि पार्टी में शामिल अन्य नेताओं में मोहसीन अली, जहीर हुसैन बाबर, काचो गुलजार हुसैन, असदुल्ला मुंशी, मोहम्मद इब्राहिम और ताशी सेरिंग शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में सियासी उथल-पुथल के बीच हाजी इनायत अली का बीजेपी में जाना महबूबा मुफ्ती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कभी उसकी सहयोगी रही बीजेपी धीरे-धीरे घाटी में अपनी जड़ें मजबूत कर रही है। इससे पहले जुलाई में भी पीडीपी के बड़े नेता ने पार्टी का दामन छोड़ दिया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पुलवामा जिला अध्यक्ष मोहम्मद खलील बंद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद महबूबा पर पार्टी के मूल सिद्धांतों के साथ समझौते का आरोप लगाया था।