नकदी और महंगे उपहार लेकर संसद में सवाल पूछने वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। 9 नवंबर 2023 को यह बात सामने आई कि लोकसभा की आचार समिति की मसौदा रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा पर ‘अनैतिक आचरण’ का आरोप लगाते हेतु निष्कासन की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने अपने लॉगिन से संबंधित जानकारी अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा किए।
समिति के मसौदे में यह भी कहा गया है कि महुआ ने यूएई की कई बार यात्रा की और दुबई से 47 बार उनके अकाउंट में लॉगइन किया गया था। आचार समिति ने आईपी एड्रेस पर एक रिपोर्ट माँगी और सांसद के खिलाफ कानूनी परिणामों पर जोर दिया। महुआ के निष्कासन की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में सरकारी जाँच की गई है।
अपनी रिपोर्ट में आचार समिति ने महुआ मोइत्रा के व्यवहार को अनैतिक आचरण और सदन की अवमानना कहा। ऑपइंडिया ने रिपोर्ट के मसौदे का एक हिस्सा देखा, जिसमें समिति के सदस्यों की महुआ मोइत्रा और दानिश अली के साथ हुई बातचीत को शामिल किया गया है। समिति के सदस्यों की महुआ से बातचीत उनकी विदेश यात्रा और उनके रहने आदि को लेकर होती रही। इसमें सवालों की उपयुक्तता को लेकर नोंकझोंक भी हुई।
इस दौरान महुआ ने समिति के सदस्यों के सवालों को निजी मामलों में दखल देने वाला बताया और विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “आचार समिति का ये काम बिल्कुल भी नहीं है।” उन्होंने आचार समिति के सदस्य और अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी और कहा, “मैं आचार समिति और आपके खिलाफ शिकायत दर्ज करूँगी। मैं सांसद के रूप में शिकायत करूँगी।”
समिति में चर्चा के दौरान बहुजन समाज पार्टी (BSP) सांसद कुंवर दानिश अली, जदयू सांसद गिरिधर यादव, भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल, भाजपा सांसद सुभाष रामराव भामरे और अन्य लोग उपस्थित थे। इस दौरान दखल देने वाले सवालों को लेकर यादव और अली के बीच तीखी नोंकझोंक हुई।
दानिश अली ने महुआ की यात्रा को लेकर पूछे गए सवालों की निंदा की और इसे एक महिला सांसद का अपमान बताया। दानिश अली ने कहा, “आप किसी महिला सांसद का इस तरह अपमान नहीं कर सकते।” उन्होंने समिति के सदस्यों पर स्क्रिप्ट फॉलो करने का आरोप लगाया। इतनी ही नहीं, अली ने पूछे गए प्रश्नों को लेकर समिति के अध्यक्ष की समझ पर भी सवाल उठाया।
इस दौरान सुनीता दुग्गल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, “जवाब देना या न देना उनका अधिकार है।” बातचीत जारी रही और अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कार्रवाई की दिशा निर्धारित करने के लिए मतदान का प्रस्ताव रखा। हालाँकि, यादव ने इस पर आपत्ति जताई और कहा, “हम आपकी कोई भी बात नहीं सुनेंगे। आप एक घंटे से प्रश्न पूछ रहे हैं। आप 100 सवाल पूछेंगे, इसका मतलब क्या है?”
महुआ ने माना कि जानकारी साझा की
ऑपइंडिया ने बातचीत के जिन हिस्सों को देखा उनमें महुआ ने दो बार स्वीकार किया है कि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के साथ अपनी गोपनीय जानकारी साझा की थी। तथाकथित ‘व्यक्तिगत सवालों’ से उत्तेजित होकर उन्होंने कहा, “हम यहाँ दो चीजें निर्धारित करने के लिए हैं। नंबर एक, क्या मैंने दर्शन हीरानंदानी को लॉगिन और पासवर्ड दिया था? मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि 2019 से उनके कार्यालय में एक व्यक्ति मेरे प्रश्न को टाइप कर रहा है। प्रश्न मेरे थे लेकिन अनधिकृत नहीं, क्योंकि यह मेरा ओटीपी था। इसलिए उनकी पहुँच नहीं थी। पहले प्रश्न का उत्तर पहले ही दिया जा चुका है।”
महुआ ने इस बात को मानने से साफ इनकार कर दिया कि उन्हें संसद में पूछे गए सवालों के बदले हीरानंदानी से रिश्वत मिली थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई का हवाला देते हुए दावा किया कि उन्हें रिश्वत मिलने का दावा उनके पूर्व प्रेमी की शिकायत पर आधारित था।
महुआ ने आगे कहा, “दूसरा सवाल, उन्होंने आपको क्या दिया? आप मुझे बताएँ कि आपके पास क्या सबूत है या उन्होंने (देहाद्राई ने) आपको क्या दिया है। मुझे इसका खंडन नहीं करना है। जो आपके पास है, उसका मुझे प्रमाण दीजिए। मैं यहाँ बैठकर उस लंबी सूची का उत्तर नहीं दूँगी, जो किसी पूर्व-प्रेमी ने आपको दी है। यह संसद की आचार समिति का काम नहीं है और किसी सांसद को इसका जवाब किसी के सामने नहीं देना पड़ता। आप मुझे बताएँ। यदि इस बात का सबूत है कि दर्शन हीरानंदानी ने मुझे ये-ये दिया है तो आप मुझसे एक स्पष्ट प्रश्न के लिए हाँ/नहा पूछें। मैं यहाँ बैठकर इसका जवाब नहीं दे सकती कि मैं कहाँ गई और किसके साथ रही।”
बता दें कि कुत्ता हेनरी को लेकर सांसद महुआ मोइत्रा और उनके पूर्व प्रेमी जय अनंत देहाद्राई के बीच विवाद पैदा हो गया। इसके बाद देहाद्राई ने दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर महुआ पर कई तरह के आरोप लगाए थे। इसी पत्र के आधार पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कार्रवाई की माँग की थी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने मामले को आचार समिति के पास भेज दिया था।