केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि मजहबी कारणों से ‘फतवों’ का इस्तेमाल कभी नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि ‘फतवों’ को राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।खान ने कहा कि कुरान में इस तरह की 200 आयतें हैं, जिसमें बताया गया है कि कोई भी इंसान यह तय नहीं कर सकता कि कौन सही है और कौन गलत।
Delhi| ‘Fatwas’ are never used because of religious reasons. There are 200 instances in Quran & no human being can decide who is right and who is wrong. ‘Fatwas’ are being used as a political weapon: Kerala Governor Arif Mohammed Khan (15/01) pic.twitter.com/xZWmZPd3QD
— ANI (@ANI) January 16, 2023
आरिफ मोहम्मद खान ‘पाञ्चजन्य’ पत्रिका के 75 वर्ष पूरे होने पर 15 जनवरी, 2023 को आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उनसे जब ‘मुस्लिम श्रेष्ठता’ और मौलाना वर्ग द्वारा इसे बढ़ावा देने के मामले पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो पहला कुफ्र का फ़तवा किसी गैर-मुस्लिम के खिलाफ नहीं, बल्कि मुस्लिम के खिलाफ ही जारी किया गया था। सबसे पहला फ़तवा हजरत अली पर लगाया गया, जिनकी परवरिश पैगंबर साहब ने की थी। फतवे की वजह से उनका कत्ल कर दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा, “फ़तवा कभी भी मजहबी कारणों से नहीं हो सकता है। कुरान में ऐसी 200 आयतें हैं, जिनमें कहा गया है कि दुनिया में तुम्हारे बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन जब मरने के बाद हमारे पास आओगे तो हम फैसला करेंगे कि कौन अच्छा है और कौन बुरा है। कुरान सही या गलत के बारे में फैसला करने का अधिकार पैगंबर को भी नहीं देता है।”
केरल के राज्यपाल ने कहा कि 1980 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के कहने पर उन्होंने कानपुर से चुनाव लड़ा था। बकौल खान, इंदिरा गाँधी ने उनसे कहा था कि उनकी हिंदी अच्छी है और 1952 से कॉन्ग्रेस ने उस सीट से चुनाव नहीं जीता है, इसलिए उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि उस दौरान हिंदी के शब्द बोलने पर भी कुफ्र का फतवा जारी हो जाता था।
उन्होंने कहा, “मेरे खिलाफ यह बोलकर फतवा जारी किया गया था कि मैं हिंदी बोलता हूँ, तिलक लगाता हूँ, आरती करवाता हूँ। उन्हें तो मेरे नाम में भी समस्या नज़र आई थी। दारा शिकोह के खिलाफ भी कुफ्र का फ़तवा जारी किया गया था। फतवों का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के तौर पर किया जाता है।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले ‘पाञ्चजन्य‘ और ‘द ऑर्गेनाइजर’ को दिए साक्षात्कार में संघ प्रमुख मोहन भगवत ने कहा था कि मुस्लिमों को भारत में कोई खतरा नहीं है, लेकिन उन्हें श्रेष्ठता का भाव छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा था, “भारत में इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। लेकिन, ‘हम बड़े’ हैं, हम पहले राजा थे, फिर से राजा बनेंगे’ – यह भाव छोड़ना पड़ेगा। ‘हम सही हैं, बाकी सब गलत हैं’ – इसे छोड़ना पड़ेगा। ‘हम अकेले रहते हैं और आगे भी अकेले रहेंगे’ – इस भाव को छोड़ना पड़ेगा।”