जम्मू कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों डा. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, महबूबा मुफ्ती और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा सँभाल रही जम्मू कश्मीर पुलिस का विशेष सुरक्षा दल (एसएसजी) को केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन भंग करने की तैयारी में है। साल 2000 में गठित एसएसजी को प्रदेश सरकार पूरी तरह भंग करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस फैसले से जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती इस फैसले से प्रभावित होंगे। बता दें कि कॉन्ग्रेस नेता आजाद को छोड़कर बाकी तीन श्रीनगर में रहते हैं।
यह निर्णय सुरक्षा समीक्षा समन्वय समिति द्वारा लिया गया था जो जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण नेताओं की खतरे की धारणा की देखरेख करता है। पिछले साल 31 दिसंबर को, जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अवर सचिव राशिद रैना ने यूटी प्रशासन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), सुरक्षा, को इस बात से अवगत कराया कि केंद्र ने एसएसजी को सही आकार देने के लिए मंजूरी दे दी है।
सुरक्षा व्यवस्था को तार्किक बनाने और सुधार की इस प्रक्रिया के बाद चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा का जिम्मा संबंधित जिला पुलिस या पुलिस का सुरक्षा संभाग संभालेगा। बता दें कि चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेड प्लस श्रेणी की सुविधा पहले की तरह उपलब्ध रहेगी। एसएसजी को भंग करने के बाद इसके अधिकारियों व जवानों को उनके साजो सामान समेत सुरक्षा संभाग और उपराज्यपाल की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे विशेष सुरक्षा बल (एसएसएफ) में भेजा जाएगा। प्रशासन इस बल की ताकत को ‘न्यूनतम’ तक कम करके एसएसजी को ‘सही आकार’ देगा। अब इसका नेतृत्व पुलिस अधीक्षक के पद से नीचे के एक अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जबकि निदेशक, जो कि पुलिस महानिरीक्षक और उससे ऊपर रैंक का होगा।
After govt's decision to reduce the security of former Chief Ministers to the bare minimum, Srinagar Mayor slams Farooq Abdullah, Omar Abdullah, and Mehbooba Mufti.
— TIMES NOW (@TimesNow) January 7, 2022
Ieshan with more inputs.#KashmirFirstAlways pic.twitter.com/HhGh6Ahxg9
गौरतलब है कि एसएसजी का गठन वर्ष 1996 में डा. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार ने किया था। यह संवेदनशील घटनाओं के दौरान संरक्षित व्यक्तियों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और सुरक्षित स्थानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद 31 मार्च 2020 में एसएसजी अधिनियम में संशोधन कर पूर्व मुख्यमंत्रियों व उनके परिजनों को एसएसजी सुरक्षा प्रदान करने वाले खंड को हटा दिया गया।
एसएसजी अब केवल सेवारत मुख्यमंत्रियों और उनके परिवार के सदस्यों को ही सुरक्षा मुहैया कराएगा। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को कुछ और सुरक्षा मिलती रहेगी।
फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद को राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का सुरक्षा कवच मिलता रहेगा क्योंकि ये दोनों जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त हैं। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को जम्मू-कश्मीर में जेड प्लस सुरक्षा मिलेगी। लेकिन केंद्र शासित प्रदेश के बाहर उनकी सुरक्षा कम की जा सकती है। इसके अलावा, इन नेताओं को जिला पुलिस द्वारा खतरे के आकलन के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
All former J&K CMs will now be protected by Security Wing of @JmuKmrPolice instead of the SSG – based purely on their security categorization and threat assessment – like the rest of so many of us!
— Junaid Azim Mattu (@Junaid_Mattu) January 6, 2022
They continue to be Z+ protectees!
Don’t the former CMs trust the Security Wing?
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षा विंग में एसएसजी के कुछ जवानों को ‘क्लोज प्रोटेक्शन टीम’ के हिस्से के रूप में तैनात करने का फैसला किया है। एसएसजी के अतिरिक्त वाहनों और गैजेट्स को जम्मू-कश्मीर पुलिस के सुरक्षा विंग में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
एसएसजी के आकार में कटौती के साथ, कुलीन समूह के शेष कर्मियों को उनके ज्ञान, प्रशिक्षण और विशेषज्ञता का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए अन्य विंगों में तैनात किया जाएगा।