कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने अजित डोभाल के कश्मीर दौरे पर विवादित टिप्पणी की है। बता दें कि डोभाल ने कश्मीर दौरे के क्रम में वहाँ के स्थानीय लोगों से संवाद किया और सड़क किनारे खाना खाते हुए आम जनता से बातचीत की। डोभाल ने आम लोगों के बीच जाकर स्थिति को समझा और सुरक्षा बलों से मिलकर कर स्थिति का जायजा लिया। कश्मीरियों के साथ खाना खाते हुए डोभाल के वीडिओज़ सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुए और लोगों ने जमीन से जुड़ कर काम करने के लिए उनकी सराहना की।
वहीं इस सम्बन्ध में जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “पैसे देकर आप किसी को भी साथ ले सकते हो।” जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद का यह मानना है कि एनएसए डोभाल से बातचीत करने के लिए कश्मीरियों को रुपए दिए गए। ट्विटर पर लोगों ने आजाद से पूछा कि क्या कश्मीरी जनता बिकाऊ है? लोगों ने इसे न सिर्फ़ डोभाल बल्कि कश्मीर के लोगों का भी अपमान बताया।
ख़बरों का #अखाड़ा @AnchorAnandN
— News18 India (@News18India) August 8, 2019
NSA अजीत डोभाल के कश्मीर दौरे पर आम लोगों के साथ खाना खाने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पैसे देकर को किसी को भी साथ ले सकते हैं @neelakantha pic.twitter.com/qI1hgop1g5
इससे पहले लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मुद्दा माने से इनकार कर दिया था। कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा साबित करने की कोशिश में उन्होंने अपनी किरकिरी करा ली थी। कॉन्ग्रेस पर यह भी आरोप लगा कि वह पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित किया गया है।
Kashmir is 1% of Indian population. We spend 10% of Central grants over them. Whereas UP is 13% of population and yet they get only 8%. But who is more loyal to the idea of India? UP.
— THE SKIN DOCTOR (@theskindoctor13) August 8, 2019
Paise se deshbhakti kareedi jaati to Kashmiri aaj sabse zyada deshbhakt hote India ke liye.
एनएसए डोभाल ने कश्मीर की जनता से मुलाकात के दौरान कहा कि आमजनों की सलामती और हिफाजत सरकार का ध्येय है। अजीत डोभाल ने कहा, “हमलोग इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं कि किस तरह से आपके बच्चे और उनके बच्चे सुकून से रह सकें और आगे बढ़ सकें। वे क्षेत्र, मजहब और देश की तरक्की में योगदान दे सकें।“