25 वर्षीय मूक-बधिर शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा (Malika Handa) को नकद इनाम का वाद कर मुकरने पर पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार की देश भर में किरकिरी हो रही है। इसके बाद राज्य के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को मलिका हांडा की मदद करनी चाहिए। यदि वह उनके पास आतीं हैं तो वे मदद करेंगे। साथ ही इस संबंध में राज्य के खेल मंत्री परगट सिंह से बात करने का उन्होंने भरोसा दिलाया है।
Govt should help her (speech impaired chess player Malika Handa). If she comes to me, I will definitely help her. I will ask Pargat Singh Ji (Punjab Sports Minister) to help her: State Deputy CM Sukhjinder Singh Randhawa pic.twitter.com/mCZJIshVTl
— ANI (@ANI) January 3, 2022
दरअसल, परगट सिंह ने हांडा से कहा था कि सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि मूक-बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई नीति नहीं है। कॉन्ग्रेस सरकार के इस रवैए को लेकर मलिका हांडा की माँ रेणु हांडा ने भी चन्नी सरकार पर निशाना साधा है। रेणु हांडा ने कहा है कि 5 साल बाद भी खिलाड़ियों के लिए कोई नीति क्यों नहीं बनाई गई है?
7 नेशनल गोल्ड, 4 इंटरनेशनल सिल्वर और 2 इंटरनेशनल गोल्ड पदक जीतने वाली शतरंज खिलाड़ी मलिका ने सोमवार (3 जनवरी 2022) को जालंधर में कहा था, “खेल मंत्री परगट सिंह ने किसी भी तरह का पुरस्कार देने से इनकार करते हुए कहा है कि वह अपनी जेब में चेक बुक नहीं रखते हैं। उन्होंने हमें पहले की सरकार के पास जाने के लिए कहा है।”
Even after winning 7 national gold, 4 int’l silver &2 int’l gold medals, Sports Min Pargat Singh denied any reward, said that he doesn’t keep a cheque book in his pocket & that we should go to previous govt with our demands: Speech-impaired chess player Malika Handa, in Jalandhar pic.twitter.com/9EatMOOKk4
— ANI (@ANI) January 3, 2022
मलिका ने यह भी कहा था, “ये सारे मेडल और सर्टिफिकेट उनके लिए बेकार हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों को लाखों-करोड़ों का पुरस्कार मिलता है। मैं खेल छोड़ दूँगी। मेरी 10 साल की मेहनत बेकार गई।” हाल ही में मलिका ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट करके पंजाब सरकार की नाकामी को उजागर किया था। अपने मेडल्स और ट्रॉफी को दिखाकर पंजाब सरकार से सवाल पूछने वाली मलिका का दावा है कि वो 31 दिसंबर 2021 को पंजाब के खेल मंत्री से मिली थीं। जिन्होंने उनको कहा कि वो उन्हें जॉब नहीं दे सकते, क्योंकि उनके पास मूक बधिर खिलाड़ियों के लिए ऐसी कोई नीति नहीं है।
मलिका के पिता सुरेश हांडा को ट्रिब्यून ने कोट करते हुए लिखा, “मलिका आज बहुत परेशान है। मैं और मेरा बेटा अतुल हांडा उनके साथ खेल विभाग के निदेशक के कार्यालय गए थे, लेकिन उन्होंने भी साफ़ मना कर दिया। मेरी बेटी पिछले 8-10 वर्षों से खेल खेल रही है। देश और राज्य के लिए पदक ला रही है। बस इस उम्मीद के साथ कि उसे भी अन्य ओलंपियन और पैरा-एथलीटों की तरह नौकरी दी जाएगी।”
बता दें नेशनल चैम्पियन मलिका अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इसी साल सितंबर में चंडीगढ़ में पंजाब के खेल विभाग के निदेशक से संपर्क कर नौकरी और आर्थिक सहायता के लिए मदद माँगी थी। लेकिन राज्य सरकार की ओर से उदासीनता भरी प्रतिक्रिया मिली तो डायरेक्टर के केबिन से बाहर निकलने के बाद हांडा के सब्र का बाँध टूट गया। इसके बाद ट्विटर पर सांकेतिक भाषा में उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया और लोगों ने उन्हें भावनात्मक रुप से सपोर्ट भी किया।