पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ग्रीनपीस इंटरनेशनल ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा प्रदूषण घटाने वाले झूठे दावों की पोल खोली है। ग्रीनपीस का कहना है कि पिछले कुछ सालों में प्रदूषण का स्तर 25% नहीं घटा हैं। संस्था के अनुसार अगर दिल्ली और आसपास के राज्यों में वायु गुणवत्ता और सैटेलाइट डेटा के साथ पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों की बढ़ती खपत के आँकड़ों को मिलाकर देखें तो उन्हें ये दावा गलत लगता हैं।
एनजीओ के विश्लेषण के मुताबिक, “दिल्ली और आसपास के राज्यों में वायु गुणवत्ता निगरानी और उपग्रह के आँकड़ों के साथ ही पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों की बढ़ती खपत को मिलाकर देखें तो सरकार का यह दावा गलत है कि पिछले वर्षों के दौरान प्रदूषण के स्तर में 25 प्रतिशत की कमी आई है।”
लेकिन, ग्रीनपीस की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनके लिए यह विश्लेषण महत्वहीन है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण घटा है और अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण पराली जलाने से हो रहा है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में दिल्लीवासियों को दिल्ली की सड़कों पर हर जगह सरकारी एडवरटाइजमेंट के जरिए राज्य में कम हुए प्रदूषण की सूचना दी जा रही थी। जिसमें कहा जा रहा था कि दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 2012-2014 के 154 के औसत से 2016-2018 में 115 तक आ गया है। जिसका मतलब है कि पीएम 2.5 में करीब 25% कमी आई है।
बता दें कि ग्रीनपीस इंडिया ने सैटेलाइट डेटा के हवाले से कहा है कि साल 2013 से 2018 तक पीएम 2.5 के स्तर में कोई भी कमी नहीं दिख रही हैं। उनका कहना है कि पिछले 3 सालों की तुलना में केवल साल 2018 के अंतिम महीनों में प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई है।