देश में जबरन धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं के बीच हरियाणा (Haryana) में शादी के लिए धर्म-परिवर्तन पर रोक लग गई है। मंगलवार (20 दिसंबर, 2022) को राज्यपाल ने इससे जुड़े विधेयक को मंजूरी दे दी। यानी, अब हरियाणा में शादी के लिए कोई भी धर्म-परिवर्तन नहीं कर सकता। कानून का उल्लंघन करने पर 10 साल तक की सज़ा होगी।
दरअसल, बीते 4 सालों में हरियाणा में जबरन धर्मांतरण (Forced Conversion) के 127 मामले सामने आए थे। धर्म-परिवर्तन की इन घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की अगुवाई वाली राज्य की भाजपा सरकार ने इसी साल मार्च में ‘हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण अधिनियम, 2022’ विधानसभा में पारित किया था। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब यह कानून बन गया है। सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
इस कानून के अनुसार, यदि कोई भी स्त्री या पुरुष शादी के लिए धर्म परिवर्तन करता है तो उसे 3-10 साल तक की सज़ा और 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। यही नहीं, इस कानून के लागू होने के बाद अब जबरन धर्मांतरण का शिकार होने पर पीड़ित कोर्ट की शरण भी ले सकेंगे। साथ ही, कोर्ट पीड़ित और आरोपित की देखते हुए भरण-पोषण और कार्रवाई का खर्चा देने का आदेश जारी करेगा।
इसके अलावा इस कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि जबरन धर्मांतरण होने के बाद यदि बच्चा हो गया है और महिला या पुरुष शादी से संतुष्ट नहीं हैं तब भी वह कोर्ट की शरण ले सकते हैं। कोर्ट दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आदेश देगा कि बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए भी भरण पोषण राशि दोनों को ही देनी होगी। साथ ही, कानून की धारा 6 के अंतर्गत विवाह को अमान्य घोषित करने का भी प्रावधान है।
सीधे शब्दों में समझें तो राज्य के मौजूदा कानून के अनुसार, जबरन धर्मांतरण में 1 से 5 साल तक की सजा व न्यूनतम 1 लाख रुपए का जुर्माना। शादी के लिए धर्म छिपाने या जबरन धर्मांतरण करने पर 3-10 साल तक की सजा व न्यूनतम 3 लाख व अधिकतम 5 जुर्माना। वहीं, सामूहिक धर्मांतरण में 10 साल तक की होगी सजा होगी।
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की भी देनी होगी जानकारी
हरियाणा सरकार के नए कानून के अनुसार यदि राज्य में कोई अपनी इच्छा से धर्मांतरण करना चाहता है तो उसे जिले के DC को इसकी जानकारी देनी होगी। DC कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर उस व्यक्ति के धर्म-परिवर्तन की जानकारी चस्पा की जाएगी। धर्म-परिवर्तन के बाद यदि कोई खुश नहीं है तो 30 दिनों के अंदर उसे लिखित शिकायत दर्ज करानी होगी। इसके बाद, DC जाँच करेंगे। धर्मांतरण नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर सज़ा होगी।
आपत्ति होने पर 30 दिनों के भीतर लिखित में शिकायत की जा सकती है। DC जाँच कर तय करेंगे कि धर्म-परिवर्तन में नियमों का उल्लंघन किया गया है या नहीं। उल्लंघन होने पर धर्मांतरण की स्वीकृति रद्द कर दी जाएगी। हालाँकि, DC के आदेश के विरुद्ध भी मण्डलायुक्त कार्यालय में शिकायत की जा सकती है।