असम सरकार द्वारा राज्य संचालित मदरसों को बंद करने के निर्णय से कुछ अपेक्षित वर्गों में हलचल मची हुई है। असम के शिक्षा मंत्री हिमांत विश्व शर्मा ने पिछले महीने असम विधानसभा में बोलते हुए कहा था कि सरकार द्वारा संचालित मदरसे नवंबर से बंद कर दिए जाएँगे क्योंकि राज्य सरकार केवल धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देगी। साथ ही सरमा ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर राज्य में लव जिहाद के मामलों के खिलाफ लड़ाई शुरू करने का भी वादा किया है।
रिपब्लिक टीवी पर कल हुए एक डिबेट में भाजपा नेता और असम के वरिष्ठ मंत्री हिमांत विश्व शर्मा ने ‘इस्लामिक स्कॉलर’ अतीक उर रहमान को उनकी दकियानूसी बातों का करारा जवाब दिया। दरअसल, अतीक यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि कैसे ‘धर्मनिरपेक्षता’ के लिए समुदाय विशेष ने ‘अलग बलिदान’ दिया? कॉलमनिस्ट अजीत दत्ता द्वारा ट्विटर पर साझा की गई रिपब्लिक टीवी की डिबेट के एक छोटी सी क्लिप में, सरमा को तथ्यों के साथ रहमान के प्रतिवादों का मुकाबला करते देखा जा सकता है।
रहमान ने डिबेट के दौरान शर्मा से कहा, “मिस्टर शर्मा, भारत के अल्पसंख्यक समुदाय ने सेक्युलरिज्म को मजबूत करने के लिए, अपने अलग-अलग इलेक्टोरल्स का सैक्रिफाइस किया और सरदार पटेल ने इस सैक्रिफाइस को देखते हुए अल्पसंख्यकों के धार्मिक और उनके सांस्कृतिक अधिकारों को लेकर संविधान में गारंटी दी थी। अब आप जो कर रहे हैं, क्या यह असंवैधानिक नहीं है सर?” इस पर शर्मा ने जवाब दिया, “मौलाना साब, मुझे सरदार पटेल का कोई भी एक बयान दिखाइए जिसमें यह कहा गया हो कि राज्य को मदरसा चलाना चाहिए।” वहीं शर्मा से लताड़े गए खुद के बयान को लेकर रहमान ने सरमा को धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करने के लिए कहा।
This is what happens when they try to counter HBS without facts… Ouch 😁 pic.twitter.com/2a3IkjUvQ1
— Ajit Datta (@ajitdatta) October 15, 2020
शर्मा ने डिबेट के दौरान बताया कि असम में लगभग 1000 राज्य संचालित मदरसे हैं और इन मदरसों पर राज्य लगभग 260 करोड़ रुपए सालाना खर्च करता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्थिति का मूल्यांकन करते हुए फैसला किया कि राज्य को सार्वजनिक धन के उपयोग से कुरान को पढ़ाना या उसका प्रचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा संचालित मदरसों के कारण, कुछ संगठनों द्वारा भगवद गीता और बाइबल को भी स्कूलों में पढ़ाने की माँग की गई थी, लेकिन सभी धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्कूलों को चलाना संभव नहीं था।
एआईडीयूएफ जैसी पार्टियों के विरोध के बावजूद, शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को नहीं बदला जाएगा। इस बारे में अधिसूचना नवंबर में जारी की जाएगी। गौरतलब है कि राज्य द्वारा चलाए जा रहे मदरसों के साथ-साथ असम सरकार अपने कामकाज में कुप्रबंधन और अनियमितताओं के कारण राज्य द्वारा संचालित संस्कृत टोलों को भी बंद कर रही है।