केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर भाजपा सरकार का रुख साफ़ कर दिया है। ‘रिपब्लिक समिट’ के दूसरे दिन कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए शाह ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) और जम्मू-कश्मीर के लिए वो जान भी दे सकते हैं और देश में करोड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके मन में यही भावना है। पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने उनसे पीओके को भारत में मिलाने के लिए सरकार के ‘प्लान ऑफ एक्शन’ को लेकर सवाल पूछा था। बता दें कि संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए भी शाह ने कहा था कि पीओके के लिए जान दे सकते हैं।
अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार का जो भी ‘प्लान ऑफ एक्शन’ या उसका समय है, उसे टीवी डिबेट के दौरान घोषित नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि ये सब देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दे हैं, जिन्हें ठीक वैसे ही कर डालना चाहिए, जैसे अनुच्छेद 370 को हटाया गया। शाह ने अर्नब गोस्वामी से कहा कि पीओके के लिए ‘प्लान ऑफ एक्शन’ या समय की बात मत ही पूछिए तो अच्छा है।
पीओके को पाकिस्तान से वापस लेने वाले सवाल पर देश के गृह मंत्री ने कहा कि इस प्रकार की चीजों के लिए जो भी रणनीति या समय होता है, उसे घोषित नहीं किया जाता। अमित शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने अनुच्छेद 370 पर भी जो फ़ैसला लिया, उसे लेकर भी किसी प्रकार का ‘प्लान ऑफ एक्शन’ घोषित नहीं किया गया था। अर्नब गोस्वामी ने मजाकिया अंदाज़ में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमित शाह के बयान के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और वहाँ के सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा को नींद भी नहीं आएगी।
शाह ने कहा कि देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मसलों पर लिए गए फ़ैसलों को अपने तरीके से लागू किया जाता है, सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की जाती कि क्या और कैसे किया जाएगा? बालाकोट एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में शाह ने कहा कि वो सब भी पहले घोषित कर के नहीं किया गया था। शाह ने कहा कि पाकिस्तान और भारत का रिश्ता इस पर निर्भर करता है कि वो अपनी ज़मीन पर आतंकवाद को ख़त्म करता है या नहीं। उन्होंने पाक को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वो आतंकवाद फैलाने वाली रणनीति पर कायम रहता है तो आतंकवाद को ख़त्म करने की दिशा में उसका जवाब हम देंगे।
पीओके पर संसद में दिखाए गए तेवर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय का काम देश के सभी हिस्सों में सुरक्षा सुनिश्चित करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर देश के भीतर कहीं भी असुरक्षा है, उसे लेकर गृह मंत्री को गुस्सा नहीं आता है तो वह संवेदनशील नहीं है। शाह ने आगे कहा:
“गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि देश की संसद को जम्मू-कश्मीर पर क़ानून बनाने का वैधानिक अधिकार नहीं है। जब मैंने उनसे पूछा कि आप पीओके को संप्रभु भारत का हिस्सा मानते हो या नहीं मानते हो? अगर ये देश की सीमाओं के भीतर आता है तो इसपर क़ानून बनाने के लिए देश का संसद कैसे अधिकृत नहीं है? मेरी जगह कोई भी होता तो उसे इस बात से गुस्सा आ सकता था। गुलाम नबी आज़ाद ने देश की संसद की क्षमता पर सवाल खड़े किए। इसलिए , मेरा नाराज होना स्वाभाविक था। मैंने गुस्से में भी किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोला।”
अमित शाह ने कहा कि उनकी आक्रामकता किसी व्यक्ति या संस्था के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि असुरक्षा और अव्यवस्था के ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि देश में व्यवस्था लाना सरकार का काम है और आक्रामकता होनी ही चाहिए।