लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया के बीच एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं कॉन्ग्रेस सदस्य विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि मुंबई हमलों के दौरान IPS अधिकारी हेमंत करकरे की मौत जिस गोली से हुई थी, वह ‘RSS को समर्पित’ एक पुलिस अधिकारी के हथियार से चली थी, न कि अजमल कसाब या अन्य आतंकियों के गन से।
विजय ने कहा कि साल 2008 में हुए 26/11 को मुंबई में हमला करने वाले अजमल कसाब या अन्य 9 पाकिस्तानी आतंकवादियों की बंदूक से निकली गोली से हेमंत करकरे की मौत नहीं हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में उस समय विशेष सरकारी वकील रहे मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार उज्ज्वल ने तथ्यों को छिपाया। उन्होंने कहा कि निकम ‘देशद्रोही हैं।
एक वीडियो वाले बयान में वडेट्टीवार ने आरोप लगाया, “जाँच के दौरान एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई थी। हालाँकि, इसे उज्ज्वल निकम ने दबा दिया था, जो एक देशद्रोही है। मेरा सवाल यह है कि भाजपा एक देशद्रोही को क्यों बचा रही है और ऐसे व्यक्ति को लोकसभा चुनाव में टिकट क्यों दिया? ऐसा करके, भाजपा देशद्रोहियों को बचा रही है।”
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 26/11 के शहीदों और मुंबई पुलिस पर कॉन्ग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार की टिप्पणी की निंदा की है। इसके साथ ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं भाजपा उम्मीदवार उज्ज्वल निकम ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ‘कसाब के पक्ष में है’।
उज्ज्वल निकम ने कहा, “यह बेबुनियाद बयान है। मैं ऐसे बेबुनियाद आरोपों से दुखी हूँ, जो मेरी ईमानदारी पर संदेह पैदा करते हैं। यह चुनावी राजनीति के स्तर को साफ दर्शाता है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीतिक लाभ के लिए राजनेता इतने निचले स्तर पर गिर जाएँगे। वह (वडेट्टीवार) मेरा नहीं, बल्कि 26/11 के हमलों में मारे गए 166 लोगों और सभी घायलों का अपमान कर रहे हैं।”
निकम ने आगे कहा, “वे (कॉन्ग्रेस) कसाब को निर्दोष मानते हैं। यहाँ तक कि पाकिस्तान ने भी स्वीकार किया था कि कसाब साजिश और आतंकी हमले में शामिल था।” उन्होंने कहा कि कसाब को सजा दिलाने के लिए उन्होंने जो कानूनी कदम उठाए हैं, उन्हें देशवासी अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने कहा कि वह ‘गलत सूचना’ को और अधिक प्रतिक्रिया देकर बढ़ावा नहीं देना चाहते।
बता दें कि 26/11 हमलों का मुख्य आरोपित अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। बाद में कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए फाँसी की सजा सुनाई थी। आखिरकार अजमल को फाँसी दे दी गई थी। इस मामले की पैरवी भारत सरकार की ओर से उज्ज्वल निकम ने की थी। उस समय वे हर समय कैमरे पर आते थे और उन्हें घर-घर तक में पहचाना जाने लगा था।
उत्तरी महाराष्ट्र के जलगाँव में जन्मे निकम 1979 में वकालत शुरू की। साल 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने पर उन्हें पहली बार प्रसिद्धि मिली। इस मामले में एक दशक से ज्यादा समय बाद फैसला आया, जिसमें से 100 आरोपियों को दोषी ठहराया गया जबकि 23 अन्य को बरी कर दिया गया था।