जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने आज (जून 30, 2021) बड़ा फैसला लेते हुए 149 साल पुरानी ‘दरबार स्थानांतण (capital shifting)’ व्यवस्था को खत्म कर दिया। प्रशासन के इस फैसले के साथ ही अधिकारियों को जम्मू एवं श्रीनगर में मिली आवास सुविधा भी रद्द हो गई।
इससे पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दशकों पुरानी व्यवस्था को खत्म करने का ऐलान किया था। अब इस काम के लिए अधिकारियों को 3 सप्ताह का समय दिया गया है। इसके भीतर अधिकारियों को दोनों राजधानी शहरों में अपने आवास खाली करने को कहा गया है।
इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने 20 जून को ऐलान किया था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन पूरी तरह से ई-ऑफिस व्यवस्था अपना चुका है और इस तरह साल में दो बार ‘दरबार स्थानांतरण’करने की प्रथा समाप्त हो गई है।
उन्होंने कहा था, “अब जम्मू और श्रीनगर के दोनों सचिवालय 12 महीने सामान्य रूप से काम कर सकते हैं। इससे सरकार को प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपए की बचत होगी, जिसका उपयोग वंचित वर्गों के कल्याण के लिए किया जाएगा।”
J&K Govt Ends 149-Year-Old ‘Darbar Move’ Practice Of Shifting Between Twin Capitals; Will Save Rs 200 Cr Annuallyhttps://t.co/xN3vuNjVgr
— Swarajya (@SwarajyaMag) June 30, 2021
इस ऐलान के बाद आज संपदा विभाग के आयुक्त सचिव एम राजू की ओर से जारी आदेश में आज कहा गया है कि श्रीनगर और जम्मू में अधिकारियों और कर्मचारियों के आवासीय आवंटन को रद्द करने को मंजूरी दे दी गई है। दरबार स्थानांतरण के तहत जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर में और श्रीनगर के कर्मियों को जम्मू में आवास आवंटित किए गए थे। ऐसे में आदेश में कहा गया है कि अधिकारी और कर्मचारियों को 21 दिनों के भीतर दोनों राजधानी शहरों में सरकार द्वारा आवंटित अपने आवासों को खाली करना होगा।
उल्लेखनीय है कि ‘दरबार स्थानांतरण’ के तहत राजभवन, नागरिक सचिवालय और कई अधिकारी साल में दो बार जम्मू और श्रीनगर स्थानांतरित होते थे। यह प्रथा महाराज गुलाब सिंह ने 1872 में शुरू की थी जिसके तहत प्रशासन सर्दियों में जम्मू से और गर्मियों में श्रीनगर से काम करता था।