जम्मू शहर में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के पानी कनेक्शन काट दिए गए हैं। जम्मू प्रशासन ने 400 से अधिक रोहिंग्या के पानी कनेक्शन खत्म कर दिए हैं। उनके बिजली कनेक्शन भी खत्म किए गए हैं। रोहिंग्या जिन जमीनों पर रह रहे हैं, उन्हें भी खाली करने का आदेश दिया गया है। इस कार्रवाई से जम्मू कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार खफा हो गई है। उमर अब्दुल्ला सरकार के मंत्री ने वादा किया है कि रोहिंग्या को लगातार पानी मिलता रहेगा। उन्होंने कहा है कि यह मानवता के आधार पर किया जा रहा है।
जम्मू में अवैध रूप से आकर बसे आकर बसे रोहिंग्या के खिलाफ यह कार्रवाई बीते कुछ दिनों से लगातार जारी है। उनका सत्यापन भी हो रहा है। रोहिंग्याओं को भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ बड़ा खतरा मानती हैं। जम्मू में उनके 409 बिजली पानी कनेक्शन काटे गए हैं।
यह सभी परिवार 14 प्लाट पर रह रहे थे। इन जमीनों के मालिकों से कहा गया है कि वह जल्द से जल्द इन रोहिंग्याओं को यहाँ से बेदखल करें। जम्मू में पुलिस ने ऐसे 18 मकान मालिकों पर FIR भी दर्ज की है, जो बिना सत्यापन के लोगों को कमरे किराए पर दे रहे थे।
पुलिस ने इस दौरान 4 रोहिंग्या को गिरफ्तार भी किया है। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। इस एक्शन से जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार में मंत्री जावेद राणा नाराज हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि किसी से पानी-बिजली छीने जाने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने वादा किया है कि सरकार इस मामले में प्रशासन से पूछताछ करेगी। उन्होंने कहा है कि अवैध रूप से बसे रोहिंग्या को पानी लगातार सप्लाई किया जाएगा। जावेद राणा जम्मू कश्मीर सरकार में जल मंत्री हैं।
वहीं भाजपा नेताओं ने इस करवाई का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और कार्रवाई के योग्य है। जम्मू शहर में रोहिंग्या आबादी एक बड़ी समस्या रही है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि शहर में 13000 से अधिक रोहिंग्या और बांग्लादेशी रह रहे हैं।
यह बीते एक दशक से यहाँ रह रहे हैं और इनकी आबादी बढ़ भी रही है। आशंका है कि कुछ रोहिंग्या जम्मू से आगे बढ़ कर राजौरी, कठुआ समेत संवेदनशील इलाकों में भी जा चुके हैं। कठुआ के होल्डिंग सेंटर में ऐसे ही 200 से अधिक रोहिंग्या बंद हैं।
रोहिंग्या को जम्मू के नगर निगम में काम देने तक का मामला सामने आ चुका है। एक रिपोर्ट में बताया गया था कि स्थानीय कामगारों के बदले रोहिंग्या को साफ़ सफाई का काम दिया जा रहा है। इसके लिए उन्हें स्थानीय कामगारों से दोगुने पैसे भी दिए जा रहे थे।