कन्हैया कुमार को क्यों बचा रही केजरीवाल सरकार?: दिल्ली पुलिस ने कहा- देशद्रोह का मामला चलाने की दें इजाजत

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जेएनयू में 2016 में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की अनुमति दिल्ली सरकार नहीं दे रही है। इस संबंध में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने केजरीवाल सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है। पत्र दिल्ली की एक अदालत द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को रिमाइंडर भेजने का निर्देश दिए जाने के बाद लिखी गई है।

पत्र में कन्हैया कुमार, उमर खालिद समेत अन्य के खिलाफ मुक़दमा चलाने की जल्द से जल्द अनुमति देने की अपील दिल्ली सरकार से की गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल की सरकार से इस संबंध में उसकी लंबित पड़ी फाइल पर जल्द सहमति देने की गुजारिश की है ताकि वे देशद्रोह के आरोप में कन्हैया कुमार और अन्य पर अभियोग चला सके।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस प्रमोद सिंह कुशवाहा ने दिल्ली सरकार को लिखी चिट्ठी में कहा है, “आपसे प्रार्थना की जाती है कि CrPC के सेक्शन 196 के अंतर्गत केस दर्ज करने के लिए जरूरी अनुमति प्रदान करने की प्रक्रिया तेज करें जैसा कि आईपीसी चैप्टर VI, सेक्शन 124 A आईपीसी के अंतर्गत जरूरी विधान है।”

बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (सीएमएम) पुरुषोत्तम पाठक ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली सरकार को कन्हैया पर अभियोजन के लिए जरूरी मॅंजूरी के बारे में याद दिलाए। इससे पहले पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि मुकदमा चलाने की मॅंजूरी अभी तक नहीं दी गई है। मॅंजूरी का अनुरोध करने वाला पत्र जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार) के पास लंबित है। अदालत ने इस संबंध में दिल्ली सरकार से 3 अप्रैल तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा था।

उल्लेखनीय है 9 फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी परिसर में देश विरोधी नारे लगाने के कई वीडियो सामने आए थे। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद समेत कई अन्य आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जाँच की थी। इसी आधार पर पिछले साल अदालत में चार्जशीट दायर की थी जिसमें कन्हैया कुमार समेत अन्य आरोपितों पर देशद्रोह की धारा लगाई गई थी। इन पर आरोप है इन्होंने जेएनयू परिसर में हुए कार्यक्रम में इन्होंने एक जुलूस की अगुवाई की थी और देशद्रोही नारे लगाए थे।

दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी 2019 को करीब 1200 पन्ने का चार्जशीट अदालत में दाखिल किया था। इसमें कन्हैया कुमार और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद को मुख्य आरोपित बनाया था। वहीं, सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उतर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट का नाम शामिल है। इसके अलावा रामा नागा, आशुतोष, शहला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को भी आरोपित बताया गया है।

लेकिन केजरीवाल सरकार की अनुमति नहीं मिलने के कारण इस मामले में अभियोग शुरू नहीं हो सका है। दिल्ली सरकार का रुख इस मामले में बेहद चौंकाने वाला है। वह न केवल देस विरोधी नारे लगाए जाने को ख़ारिज करती रही है, बल्कि दिल्ली पुलिस के साक्ष्यों को मनगढ़ंत और दोषपूर्ण भी करार देती है। बुधवार को इस संबंध में दिल्ली दिल्ली सचिवालय में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल से सवाल भी पूछा गया था। जवाब में उन्होंने कहा कि इस संबंध में फैसला लेना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। लेकिन, वे इस पर संबंधित विभाग को जल्द फैसला लेने को कहेंगे।

गौरतलब है कि देशद्रोह के मामले में अभियोग चलाने के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के तहत दिल्ली सरकार की मॅंजूरी जरूरी है। बिना इसके कोर्ट दिल्ली पुलिस की चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकती।

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