भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडा के उच्चायुक्त को तलब कर कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहाँ के अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में “अस्वीकार्य हस्तक्षेप” के समान है।
Canadian High Commissioner summoned to Ministry of External Affairs today & informed that comments by Canadian Prime Minister, some Cabinet Ministers and Members of Parliament on issues relating to Indian farmers constitute, unacceptable interference in our internal affairs: MEA pic.twitter.com/twa2NjB8Mu
— ANI (@ANI) December 4, 2020
MEA ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि अगर इस तरह की कार्रवाई जारी रहती है तो इसका भारत और कनाडा के बीच के संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा। बयान में आगे कहा गया कि इस तरह के बयानों से चरमपंथी समूहों को प्रोत्साहन मिला है और वे कनाडा स्थित हमारे उच्चायोग व काउंसलेट तक पहुँच सकते हैं, जो हमारी सुरक्षा के लिए चुनौती है। भारत यह भी उम्मीद करता है कि कनाडा उन घोषणाओं से परहेज करेगा जो चरमपंथी सक्रियता को वैध बनाती हैं।
दरअसल, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके मंत्रियों ने 1 दिसंबर को भारत में चल रहे किसानों के विरोध पर चिंता व्यक्त की थी। वर्चुअल गुरपुरब 2020 समारोह के दौरान पीएम ट्रूडो ने अपने संबोधन की शुरुआत में भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बारे में बात की थी। इस बातचीत में नवदीप एस बैंस, हरजीत सज्जन और बर्दिश चग्गर सहित सिख समुदाय के मंत्री शामिल हुए थे।
ट्रूडो ने विरोध-प्रदर्शनों के बारे में बात करते हुए कहा, “भारत से किसानों के आंदोलन के बारे में खबर आ रही है। स्थिति चिंताजनक है और सच्चाई यह है कि आप भी अपने दोस्तों और परिवारों को लेकर फिक्रमंद हैं। मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि कनाडा ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध-प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन किया। हम बातचीत में विश्वास करते हैं। हमने भारतीय अधिकारियों के सामने अपनी चिंताएँ रखी हैं।” जस्टिन ट्रूडो ही नहीं कनाडा के कई अन्य मंत्रियों ने भी किसानों के विरोध पर टिप्पणी करके भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया था।
वहीं इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “हमने कनाडाई नेताओं द्वारा भारत में किसानों से संबंधित कुछ ऐसी टिप्पणियों को देखा है जो भ्रामक सूचनाओं पर आधारित हैं। इस तरह की टिप्पणियाँ अनुचित हैं, खासकर जब वे एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हों।”
गौरतलब है कि भारत में हो रहे किसान विरोध-प्रदर्शन को काफी हद तक खालिस्तानी तत्वों द्वारा हाईजैक किया गया है। ऑपइंडिया ने रिपोर्ट किया था कि पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित संगठन SFJ ने पहले खालिस्तान के समर्थन के बदले पंजाब और हरियाणा में किसानों के लिए $ 1 मिलियन का अनुदान घोषित किया था। बता दें इसके अलावा सितंबर में ही, प्रतिबंधित प्रो-खालिस्तानी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने अपने अलगाववादी एजेंडे का समर्थन करने वाले मतदाताओं के पंजीकरण के लिए एक डोर-टू-डोर अभियान की घोषणा की थी जिसे ‘रेफरेंडम 2020’ का नाम दिया गया था।
बता दें एक तरफ जहाँ इस प्रदर्शन को खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हाइजैक किया गया है तो वहीं इस प्रदर्शन में पीएम मोदी को जान से मारने की धमकी और उनके विरोध में नारे भी लगाए जा रहे है। किसानों द्वारा किए जा रहे इस प्रदर्शन में खालिस्तानी समर्थकों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थन में भी नारे लगाए हैं।