पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 पर भारत सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय की निंदा किए जाने का वह समर्थन नहीं करते। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने वाला निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने लिखा कि अनुच्छेद 370 के कारण महिलाओं से जो भेदभाव किया जा रहा था, उसे ठीक करना ज़रूरी था। साथ ही डॉक्टर सिंह ने लिखा कि 1965 में जब वे जम्मू कश्मीर के सदर-ए-रियासत थे, उन्होंने तभी राज्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव दिया था।
कर्ण सिंह का सरकार के फैसले के साथ खड़ा होना सिर्फ कांग्रेस में फूट पड़ने के लिहाज से नहीं देखा जा सकता बल्कि इसकी बड़ी अहमियत इस लिहाज से है कि कश्मीर के राजा हरिसिंह के बेटे कर्ण सिंह ने साथ दिया है 370 हटाने का। इसका वहां की जनता पर ज़रूर असर पड़ना चाहिए। pic.twitter.com/rR5GVLcDmG
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) August 8, 2019
उन्होंने पश्चिमी पाकिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों को मताधिकार मिलने और अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को आरक्षण का अधिकार मिलने का भी स्वागत किया। उन्होंने इन सभी को ताज़ा निर्णय के पॉजिटिव पक्ष के रूप में गिनाया। जम्मू कश्मीर के दिवंगत महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के बेटे कर्ण सिंह भारत सरकार में विभिन्न मंत्रालय संभाल चुके हैं और उधमपुर से सांसद भी रहे हैं। वह जम्मू कश्मीर के प्रथम राज्यपाल रहे हैं।
हालाँकि, डॉक्टर सिंह ने जम्मू कश्मीर के दोनों प्रमुख पार्टियों के नेताओं को रिहा करने की भी माँग की। बता दें कि सरकार ने माहौल बिगड़ने से बचाने के लिए 100 से अधिक नेताओं व अलगाववादियों को नजरबन्द कर लिया है। कर्ण सिंह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भारत के एम्बेसडर भी रह चुके हैं। ऐसे समय में जब कॉन्ग्रेस का नेतृत्व सरकार के निर्णय का विरोध कर रहा है, कर्ण सिंह का बयान काफ़ी मायने रखता है।