पिछले साल ही येदियुरप्पा सरकार द्वारा स्थापित ‘कर्नाटक राज्य ब्राह्मण विकास बोर्ड’ के तहत आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) ब्राह्मणों के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दो स्कीम शुरू की गई हैं – अरुंधती (Arundhati)और मैत्रेयी (Maitrey)! इन योजना का उद्देश्य इस तबके की नव विवाहिताओं को आर्थिक मदद उपलब्ध कराना है। कर्नाटक में 06 करोड़ की आबादी में से लगभग 3% ब्राह्मण समुदाय से हैं।
बोर्ड के अनुसार, पहली योजना ‘अरुंधति’ के अंतर्गत 550 गरीब ब्राह्मण लड़कियों को विवाह के लिए 25,000 रुपए प्रत्येक के अनुसार दिए जाएँगे। जबकि दूसरी योजना, ‘मैत्रेयी’ राज्य में गरीब ब्राह्मण पुजारी से विवाह करने पर 25 लड़कियों को 3 लाख रुपए प्रत्येक के हिसाब से बॉन्ड दिया जाएगा, जो कि तीन साल तक इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
बोर्ड के अध्यक्ष एचएस सचिदानंद मूर्ति ने कहा कि विवाह करने वाली लड़कियों को कुछ अन्य शर्तों को भी पूरा करना होगा। जैसे, ब्राह्मण परिवार आर्थिक रूप से कमजोर की श्रेणी का होना चाहिए। साथ ही, विवाह करने वाली लड़की की यह पहली शादी होनी चाहिए और उन्हें एक निश्चित अवधि तक विवाहित रहना ही होगा।
बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि शुरुआत में ‘मैत्रेयी’ स्कीम ऐसी लड़कियों के लिए शुरू किए जाने की योजना थी, जो किसी गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले ब्राह्मण किसान, बावर्ची या फिर पुजारी से शादी करती। लेकिन सर्वे के बाद यह पता चला कि पुजारी वर्ग आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर है और इसलिए इस योजना को पुजारियों के फायदे के लिए चलाने की पहल की।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘मैत्रेयी’ स्कीम के अंतर्गत किसी भी विवाहित जोड़े को 3 लाख रूपए के बॉन्ड का पूरा फायदा उठाने के लिए 3 साल तक विवाहित रहना होगा और शादी के हर एक साल के अंत में 1 लाख रुपए की किश्त दंपति को दी जाएगी।
UPSC के लिए भी मिलेगी ब्राह्मणों को मदद
बोर्ड के अध्यक्ष के अनुसार, UPSC की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले गरीब ब्राह्मण छात्रों की मदद के लिए भी 14 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है, जिसका इस्तेमाल अभ्यर्थियों को स्कॉलरशिप, फीस और ट्रेनिंग देने के खर्च में किया जाएगा।
यह योजना ऐसे अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराई जाएगी, जो यह प्रमाणित कर सकेंगे कि उनके पास पाँच एकड़ से ज्यादा खेती लायक जमीन नहीं है और 1000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं है। इसके अलावा, इस योजना का लाभ सिर्फ उन गरीब ब्राह्मणों को होगा, जो पिछड़ी या अनुसूचित जाति से नहीं आते होंगे और उनकी सालाना पारिवारिक आय 8 लाख रुपए से भी कम हो।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने वर्ष 2018-19 में अपने कार्यकाल के दौरान ‘ब्राह्मण विकास बोर्ड’ के गठन के साथ ही उसे 25 करोड़ बजट फंड उपलब्ध कराने की बात कही थी। लेकिन वर्ष 2019 के अंत में भाजपा की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने इस बोर्ड का गठन किया और एचएस मूर्ति इसके पहले अध्यक्ष बने। इसी 25 करोड़ रुपए बजटके इस्तेमाल के लिए इस बोर्ड द्वारा ये 2 योजना जारी की गई हैं।
बताया जा रहा है कि येदियुरप्पा सरकार की यह योजना बोर्ड द्वारा ‘विवाह सहायता’ की ऐसी ही एक योजना को लेकर शुरू की गई है, जिसका नाम है- शादी भाग्य! इसे वर्ष 2013 में कॉन्ग्रेस सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर ‘अल्पसंख्यक‘ परिवारों की महिलाओं की शादी के लिए 50,000 रुपए देने के लिए शुरू किया था। येदियुरप्पा ने तब इस योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि इसे सभी समुदायों के गरीबों को लाभ पहुँचाने के लिए विस्तारित किया जाना चाहिए।