तड़पते मरीज ने इलाज के लिए केजरीवाल से माँगी मदद तो CM साब ने कहा- ‘सरकारी अस्पताल में क्यों नहीं गए?’

मदद के नाम पर नसीहत देकर निकल गए केजरीवाल

दिल्ली में बीते दिनों हुए हिंदू विरोधी दंगे के बाद भले ही अब स्थिति शांत है, मगर अभी भी माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। दंगों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 पहुँच चुकी है। इनमें 38 मौतें गुरुतेग बहादुर अस्पताल और 3 लोक नायक अस्पताल में हुई हैं। इसके साथ ही हर दिन किसी न किसी नाले से शव बरामद किया जा रहा है। सोमवार (मार्च 2, 2020) को भी भागीरथी विहार के नाले से एक शव बरामद हुआ। बताया जा रहा है कि अलग-अलग इलाकों के नालों से अब तक 8 लाशें बरामद की जा चुकी है।

इस बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का दंगे में घायल मरीजों के प्रति उदासीन रवैया सामने आया है। एडवोकेट पूनम कौशिक ने सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में जन स्वास्थ्य अभियान की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि दंगे में गोली का शिकार हुए एक घायल ने जब सीएम से मदद की गुहार लगाई तो वो उसे नसीहत देकर आगे निकल गए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूनम कौशिक ने बताया कि 25 फरवरी की रात वो मुख्यमंत्री आवास पर ही मौजूद थीं। उस समय उनके आवास पर कविता कृष्णन, वृंदा करात और फरहाद भी थीं। वो बताती हैं कि उस समय रात के तकरीबन 8 बज रहे होंगे, सभी लोग केजरीवाल के साथ थे, तभी अल हिंद अस्पताल से उनके पास एक घायल मरीज के इलाज में मदद के लिए फोन आया। मरीज को दंगे के दौरान गोली लगी थी। 

अस्पताल ने जब उस तड़पते मरीज की मदद के लिए मुख्यमंत्री से डॉक्टरों की टीम भेजने के लिए कहा तो उन्होंने मदद करने की बजाए नसीहत दे डाली कि सरकारी अस्पताल क्यों नहीं गए? उन्होंने साधारण लहजे में कहा, “उन्हें सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।” पूनम ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री के इस रवैये से काफी हैरानी हुई, क्योंकि उन्हें राजधानी के सीएम से इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी।

पूनम को लगा था कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सचिव सहित तमाम विभागों को वहाँ भेज सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वो आगे कहती हैं कि जब उनसे दोबारा इसके लिए बोला गया तो उन्होंने कहा, “अच्छा ठीक है हम भी बहुत चिंतित हैं, चलो देखते हैं।” ये कहकर वो वापस चले गए। पूनम ने तो यहाँ तक कह दिया कि दिल्ली की हिंसा में केजरीवाल सरकार का रवैया “सरोकार हीन सरकार” जैसा देखने को मिला है।

पूनम ने बताया कि जब सीएम ने सुनवाई नहीं की तो वकीलों ने मिलकर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर और तलवंत सिंह से मदद माँगी, जिसके बाद उन्होंने आधी रात में ही पुलिस को रास्ता साफ कर बड़े अस्पताल में इलाज कराने के आदेश दिए। पूनम का कहना था कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें अरविंद केजरीवाल सरकार का ये रुख देखना पड़ेगा, जो काफी निंदनीय है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया