Monday, November 18, 2024
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महुआ मोइत्रा देश में, लेकिन संसद में लॉगिन दुबई से? – आरोपों के बाद जानिए लोकसभा में कैसे पूछे जाते हैं सवाल: कितने तरह के होते हैं, क्या होता है इनका असर

सांसदों को अगर सवाल पूछने हैं तो इसके 2 तरीके हैं - ऑनलाइन तरीका है 'मेंबर्स' पोर्टल का इस्तेमाल करना। वहाँ आईडी-पासवर्ड डाल कर लॉगिन करना होता है। दूसरा तरीका है - संसद के नोटिस ऑफिस से फॉर्म खरीदना।

तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर न सिर्फ घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे हैं, बल्कि कुत्ता चोरी की शिकायत भी उनके खिलाफ हुई है। अब झारखंड के गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि महुआ मोइत्रा के संसद वाले अकाउंट में दुबई से लॉगिन होता था। उन्होंने कहा कि कुछ पैसे के लिए एक सांसद ने देश की सुरक्षा को गिरवी रखा, दुबई से संसद की आईडी खोले गए और उस वक़्त कथित सांसद भारत में ही थीं।

निशिकांत दुबे ने कहा, “इस NIC पर पूरी भारत सरकार है – देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केन्द्रीय एजेंसी सभी। क्या अब भी TMC व विपक्षियों को राजनीति करनी है, निर्णय जनता का, NIC ने यह जानकारी जॉंच एजेंसी को दिया।” इसके बाद कई लोग इसे देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं। सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर विदेशी धरती से किसी और को भारत के संसद की वेबसाइट पर लॉगिन कैसे करवाया जा सकता है?

बता दें कि कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने भी एक पत्र के माध्यम से अपने बयान में बताया था कि वो अक्सर महुआ मोइत्रा की संसद वाली आईडी से लॉगिन करते थे, क्योंकि सांसद ने उन्हें अपना पासवर्ड दिया हुआ था। उन्होंने बताया था कि वो संसद में महुआ मोइत्रा की तरफ से सवाल भी अपलोड करते थे। आरोप है कि इन सवालों के माध्यम से उद्योगपति गौतम अडानी और उनकी कंपनी समूह पर निशाना साधा जाता था। महुआ मोइत्रा पर ये खुलासे उनके पूर्व व्यक्तिगत दोस्त वकील जय अनंत देहाद्राई के एक पत्र के बाद हुआ था।

संसद में सांसदों के सवाल: जानिए इसके बारे में सब कुछ

अब आपको बताते हैं कि आखिर संसद में सवाल कैसे पूछे जाते हैं। ‘रूल्स ऑफ प्रोसीजर एन्ड कंडक्ट ऑफ बिजनेस इन लोकसभा’ के नियम 32-54 के तहत और ‘डायरेक्शन बाय स्पीकर, लोकसभा’ के के दिशानिर्देश 10-18 के तहत लोकसभा में सांसद सवाल पूछ सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को नोटिस देनी होती है। इसमें बताया जाता है कि वो सवाल पूछना चाहते हैं। इसमें सवाल के साथ-साथ जिस मंत्री से सवाल पूछा गया है, उनके पद एवं विभाग का नाम होता है।

इसमें तारीख़ भी लिखी होती है, जब जवाब चाहिए। अगर एक ही दिन में एक से अधिक सवाल कोई सांसद पूछ रहा है तो उन्हें ‘ऑर्डर ऑफ प्रेफरेंस’ का जिक्र भी करना होता है, यानी किस सवाल को पहले प्राथमिकता दी जाए। मौखिक या लिखित रूप से जवाब के लिए कोई सांसद एक दिन में अधिकतम 5 सवाल पूछ सकता है। लोकसभा में ‘क्वेश्चन ऑवर’ में इसका जवाब दिया जाता है। सवाल के नोटिस की अवधि सामान्यतः 15 दिन से कम नहीं रहती है।

सांसदों को अगर सवाल पूछने हैं तो इसके 2 तरीके हैं – ऑनलाइन तरीका है ‘मेंबर्स’ पोर्टल का इस्तेमाल करना। वहाँ आईडी-पासवर्ड डाल कर लॉगिन करना होता है। दूसरा तरीका है – संसद के नोटिस ऑफिस से फॉर्म खरीदना। इसके बाद लोकसभा के स्पीकर निर्णय लेते हैं कि कौन से सवाल जाएँगे और कौन से नहीं। सवाल में 150 से अधिक शब्द नहीं होने चाहिए। इसमें किसी के लिए अपमानजनक बात नहीं होनी चाहिए। हाँ, देश की सुरक्षा या अखंडता को कमजोर करने वाली कोई सूचना नहीं माँगी जा सकती है।

साथ ही न्यायपालिका के समक्ष जो मुद्दे विचाराधीन हैं, उन्हें लेकर भी सवाल नहीं उठाए जा सकते। सवाल 4 तरह के होते हैं – स्टार्ड (Starred), अनस्टार्ड (Unstarred), शॉर्ट नोटिस क्वेश्चन और प्राइवेट मेंबर्स को संबोधित किए हुए सवाल। स्टार्ड सवाल के जवाब मंत्री मौखिक रूप से देते हैं। हर सांसद एक दिन में एक स्टार्ड सवाल ही पूछ सकता है और इसके लिए 15 दिन पहले नोटिस देना होता है। 1 दिन में ऐसे 20 सवालों के ही अधिकतम जवाब दिए जा सकते हैं। इसमें फिर सप्लीमेंट्री सवाल भी पूछे जा सकते हैं, मौखिक जवाब के बाद।

अनस्टार्ड सवालों पर मंत्रालय से लिखित जवाब आता है। 1 दिन में ऐसे 230 सवालों के जवाब दिए जाते हैं। इन्हें भी 15 दिन पहले पूछना होता है। हाँ, इसमें फॉलोअप सवाल की अनुमति नहीं होती। इसमें अधिकतर डेटा या रिसर्च को लेकर सवाल होते हैं, जबकि स्टार्ड में सरकारी नीतियों या सरकार के दृष्टिकोण को लेकर। शॉर्ट नोटिस सवाल 10 दिन एडवांस में पूछे जाते हैं और इनका जवाब मौखिक होता है। अगर कोई महत्वपूर्ण या त्वरित मुद्दा है तो उस पर ये सवाल पूछे जाते हैं।

प्राइवेट मेंबर वाले सवाल सांसद से ही पूछे जाते हैं। किसी मुद्दे में अगर वो सांसद शामिल है तो उस पर उससे सवाल पूछे जा सकते हैं। सवाल पूछना सांसदों का अधिकार है और इससे शासन-प्रशासन में भी मदद मिलती है। इन सवालों के जवाबों का इस्तेमाल सरकार किसी मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए भी कर सकती है। सरकार की कमियाँ भी इनसे उजागर होती हैं। कई बार इन सवालों के बाद संसदीय समितियाँ भी बनाई जाती हैं।

इस बातचीच में संसदीय आचार समिति अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा था कि अगर किसी ने सांसद के लॉग-इन आईडी का इस्तेमाल किया है तो ये बहुत गंभीर अपराध है। उन्होंने कहा, “संसद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। यह बहुत ही अजीबोगरीब और गंभीर मामला है।” भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने कहा कि संसदीय आचार समिति 26 अक्टूबर, 2023 को सभी सबूतों की जाँच करेगी। इसके लिए सभी शिकायतकर्ताओं को सबूत के साथ मौजूद रहने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्रवाई दोनों पक्षों के समिति को दिए गए सबूतों पर निर्भर करेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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