प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुँचे। राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल कॉन्ग्रेस के मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। पीएम से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मुलाक़ात की। ममता ने बताया कि उन्होंने पीएम से सीएए और एनआरसी को वापस लेने का निवेदन किया। प्रधानमंत्री ने इस पर कहा कि वे दिल्ली आकर अपनी बात रखें, इसके बाद बात होगी। ममता बनर्जी ने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी से कह दिया कि उन्हें सीएए और एनआरसी स्वीकार्य नहीं है।
इधर ममता बनर्जी ने वामपंथियों की जम कर आलोचना करते हुए विपक्ष की साझा बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी को इस बात का डर है कि विपक्षी बैठकों में शामिल होने से उनका मुद्दा हाइजैक हो जाएगा? ममता बनर्जी जहाँ बंगाल में सीएए और एनआरसी के विरोध में लगातार रैलियाँ और पदयात्रा कर रही हैं, दिल्ली में वो विपक्षी एकता के शक्ति-प्रदर्शन में हिस्सा लेने से बच रही हैं। ज्ञात हो कि ये वही ममता हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगाया था।
आख़िर इतने ही दिन में ऐसा क्या बदल गया, जिससे ममता बनर्जी ने विपक्ष की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। दरअसल, इसके पीछे हाल ही में वामपंथी दलों और कॉन्ग्रेस समर्थित ‘भारत बंद’ को पश्चिम बंगाल में सफल बनाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी। ममता चाहती थीं कि ये बंद असफल हो जाए लेकिन वामपंथी और कॉन्ग्रेस समर्थित संगठनों के बंद का असर राज्य में दिखा। इससे घबराईं ममता बनर्जी ने वामपंथियों की जम कर आलोचना की। ममता बंगाल में ये दिखाना चाहती हैं कि वो सीएए व एनआरसी के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी आवाज़ हैं।
इन सबके अलावा उन्हें मुस्लिम वोटरों के छिटकने का भी ख़तरा सता रहा है, जिसके कारण वो कॉन्ग्रेस से दूरी बना रही हैं। राज्य में कॉन्ग्रेस विधायक दल के नेता अब्दुल मन्नान को बनाया है, जो राज्य में पार्टी के प्रमुख मुस्लिम चेहरों में से एक हैं। ऐसे में, ममता बनर्जी कॉन्ग्रेस का साथ देकर मुस्लिमों में कन्फ्यूजन या संशय का माहौल नहीं बनाना चाहतीं। ओवैसी की पार्टी भी पश्चिम बंगाल में पूरा ज़ोर लगा रही है और एआईएमआईएम ने कहा है कि कोलकाता में एक भव्य रैली आयोजित होगी, जिसमें ख़ुद हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल होंगे।
https://twitter.com/PMOIndia/status/1215955167113146368?ref_src=twsrc%5Etfwअब ममता बनर्जी को डर है कि जिस मुस्लिम तुष्टिकरण में उन्होंने कई साल गुजार दिए उनके वोट कॉन्ग्रेस और एआईएमआईएम हड़प न ले। इसीलिए, वो विपक्ष के साथ रहते हुए भी उनसे अलग दिखना दिखना चाहती हैं और ऐसा प्रतीत कराना चाहती हैं कि वो सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ अकेले लोहा ले रही हैं। अब देखना यह है कि दिल्ली में पीएम मोदी और सीएम ममता की बैठक के बाद राज्य की सियासी हवा किस करवट लेती है। ममता बंद को लेकर कॉन्ग्रेस की भी आलोचना कर चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में ख़त्म हो चुकी कॉन्ग्रेस बंद के जरिए सस्ती राजनीति कर रही है।