दिल्ली (Delhi) के शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (MAnish Sisodia) सहित आरोपितों ने कई बार फोन बदले और सबूतों को नष्ट कर दिया। ED ने इसके बारे में कोर्ट को जानकारी दी। इसके साथ ही अमित अरोड़ा नाम के एक अन्य अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया है।
जाँच एजेंसी ने बुधवार (30 नवंबर 20122) को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि गिरफ्तार किए गए दिल्ली के व्यवसायी अमित अरोड़ा और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 11 फोन इस्तेमाल किए और बदले। ये फोन कथित शराब घोटाले की अवधि के दौरान इस्तेमाल किए गए और बदले गए थे।
प्रवर्तन निदेशालय ने राउज एवेन्यू कोर्ट में बताया, “इसकी भयावहता इतनी अधिक है कि अधिकांश संदिग्ध, शराब कारोबारी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, दिल्ली के आबकारी मंत्री (मनीष सिसोदिया) और अन्य संदिग्धों ने कई बार अपने फोन बदले हैं। उपयोग किए गए और नष्ट किए गए उपकरणों का अनुमानित मूल्य लगभग 1.38 करोड़ रुपए है।”
Delhi liquor policy case: ED's big charge against Delhi Deputy CM #ManishSisodia. India Today's @AneeshaMathur tells you more about it.#ITVideo @Chaiti pic.twitter.com/RIkkpg4rB5
— IndiaToday (@IndiaToday) November 30, 2022
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब नीति घोटाले की जाँच के सिलसिले में व्यवसायी अमित अरोड़ा की 7 दिन की ED हिरासत को मंजूर कर लिया। बता दें कि अमित अरोड़ा को वित्तीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने आज (30 नवंबर 2022) को गिरफ्तार किया। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया।
अमित अरोड़ा पर आरोप
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अमित अरोड़ा के रिमांड अप्लीकेशन में ED ने कोर्ट को बताया कि अमित अरोड़ा ने दिनेश अरोड़ा के साथ साजिश और मिलीभगत में एक एल-1 थोक व्यापारी से 2.5 करोड़ की रिश्वत ली। इसे आम आदमी पार्टी के नेता विजय नायर को दिया जाना था।
ED ने यह भी कहा कि अप्रैल-मई 2022 में अमित अरोड़ा ने पंजाब सरकार और दिल्ली सरकार की मदद से महादेव लीकर को अपनी कंपनियों को सरेंडर करने और उसके बाद अपना लाइसेंस सरेंडर करने के लिए दबाव डाला था। महादेव लीकर 6% किकबैक देने के लिए तैयार नहीं था।
पता चला है कि अमित अरोड़ा ने महादेव लीकर से कहा था कि अगर होलसेल मार्जिन की 6 फीसदी रकम (यानी 12 फीसदी) रिश्वत के तौर पर नहीं चुकाते हैं तो पंजाब के उनकी शराब निर्माण की फैक्ट्रियों को वहाँ की आबकारी विभाग द्वारा बंद करा दिया जाएगा। बाद में पंजाब के आबकारी अधिकारियों के मौखिक आदेशों से कारखाने बंद कर दिए गए।
ED ने यह भी बताया कि अमित अरोड़ा ने अप्रैल-मई 2022 में जबरन वसूली और किकबैक से सहमत नहीं होने वाले अन्य कंपनियों को अपने लाइसेंस वापस करने के लिए मजबूर कर अनुचित लाभ हासिल करने में पंजाब सरकार से सहयोग लिया था और उससे राजनीतिक दबाव डलवाया था।
पूरे घोटाले में अमित अरोड़ा की मुख्य भूमिका इस बात से जाहिर होती है कि उसने न केवल एक एल-1 और दो एल-7 लाइसेंस हासिल किए, बल्कि आबकारी नीति के क्रियान्वयन से जुड़े अन्य मामलों में भी सक्रिय रूप से हस्तक्षेप रहा। अमित अरोड़ा कहता था, “हम ही सरकार हैं”।
ED ने यह भी आरोप लगाया कि मनीष सिसोदिया के प्रभाव से अमित अरोड़ा को अपनी एक दुकान तुरंत स्थानांतरित करने की मंजूरी मिल गई। एयरपोर्ट L7 जोन में H4 नंबर बिडर होने के बावजूद उसे आकर्षक एयरपोर्ट L-7 लाइसेंस मिला। जाँच के दौरान आबकारी अधिकारियों को 90 लाख और खुदरा दुकान खोलने के लिए 10 लाख रुपए घूस दिए गए। ये घूस अमित अरोड़ा के कहने पर दिए गए।