बिहार के पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र के सांसद संजय जायसवाल पर हमले के पीछे कुछ ऐसा है, जो मीडिया आपसे छिपा रहा है। मेनस्ट्रीम मीडिया में कहीं भी इस ख़बर की सच्चाई नहीं है। घटना के दोषियों के बारे में ‘स्थानीय लोग’ और ‘एक पक्ष’ लिख कर या तो उनकी पहचान छिपाने की कोशिश हो रही है या फिर सांसद व उनके पक्ष के दावों को छिपाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में ऑपइंडिया ने जब सांसद को कॉल किया, तो उधर से बताया गया कि जिस बूथ पर उन पर ये हमला हुआ, उस भीड़ में 90% सम्प्रदाय विशेष से थे। मीडिया में इसे ‘सांसद पर हमला’ के रूप में प्रचारित किया गया, लेकिन सांसद जायसवाल के फेसबुक पोस्ट को देखने के बाद भी इस बात की पुष्टि होती है कि हमला करने वाले कौन लोग थे? लेकिन, सबसे पहले मामले को सिरे से जानते हैं कि क्या हुआ और कहाँ हुआ?
रविवार (मई 12, 2019) को बिहार के चम्पारण में लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत मतदान चल रहा था। इस दौरान सांसद भी सभी बूथ पर घूम-घूम कर (प्रत्याशी को मिलने वाले अनुमति के तहत) चुनाव प्रक्रिया को देख रहे थे। तभी उन्हें सूचना मिली कि नरकटिया के बूथ संख्या 162 पर भाजपा समर्थकों को पिटाई की जा रही है। सांसद जब वहाँ पर पहुँचे और उन्होंने पूछताछ शुरू की तो भीड़ उग्र हो गई। फिर क्या था, कश्मीर में पत्थरबाज़ी के तर्ज पर सांसद पर हमला किया गया। आजतक ने अपने वीडियो में भी इस बात की पुष्टि की है कि लोग दीवार के पास खड़े होकर बड़े-बड़े पत्थर फेंक रहे हैं। सांसद ने कहा कि ऐसी स्थिति आ गई थी, जिसमें उनकी व उनके साथ जो हिन्दू समाज के लोग थे, उनकी हत्या की जा सकती थी।
#Bihar: पश्चिम चंपारण के सांसद संजय जायसवाल ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र. डीएम-एसपी पर हत्या करने की साजिश का लगाया आरोप. pic.twitter.com/LYrH0dbj0o
— Zee Bihar Jharkhand (@ZeeBiharNews) May 13, 2019
इस हमले में सांसद बाल-बाल बचे और कई समर्थकों को चोटें आईं। कई भाजपा समर्थक घायल भी हुए। संजय जायसवाल के आरोप गंभीर हैं। उनके अनुसार, माहौल ऐसा हो गया था कि अगर उनके गार्ड ने गोली नहीं चलाई होती तो शायद उनकी हत्या भी हो सकती थी। सांसद को वहाँ काफ़ी देर तक बंधक बना कर भी रखा गया। पुलिस के पहुँचने के बाद भी जायसवाल को पीटने के लिए भीड़ उतारू थी, लेकिन उन्हें किसी तरह सुरक्षित जगह पर पहुँचाया जा सका। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए संजय जायसवाल ने मीडिया पर कुछ बड़े आरोप लगाए हैं। उनके कई घायल समर्थक अभी भी असपताल में भर्ती हैं। जायसवाल ने कहा:
“सबसे दुःखद स्थिति यह रही कि अगर यही घटना किसी ऐसे बूथ पर घटी होती जहाँ 10% अल्पसंख्यक हों और 90% बहुसंख्यक हो तो अभी देश का सारा मीडिया 7 दिनों तक मोदी जी को कोस रहा होता। सबसे दुःखद स्थिति तो मोतिहारी जिला प्रशासन की है। उनके डीएसपी की गाड़ी पत्थरबाज़ी कर के पूरी तरह से तोड़ दी गई, एसडीएम की गाड़ी तोड़ दी गई। इन सबके बावजूद भी प्रशासन इसका जिक्र करने को भी तैयार नहीं है। 3 घंटे तक मुझे झूठा आश्वासन दिया गया कि केंद्रीय बलों के जवान आ रहे हैं। मुझे बताया गया कि पूर्वी चंपारण के एसपी, डीएम आ रहे हैं। जबकि, एसपी और डीएम अपने घरों में बैठे हुए थे। हाँ,अस्पताल में यह दोनों 3 घंटे जरूर खड़े रहे।“
बिहार में अंधकार-युग की की विरासत ढोनेवाले महामिलावटी दलों के नेताओं ने हमारे संसदीय प्रत्याशी डॉ संजय जायसवाल एवं समर्थकों पर हमला किया। ये दावा करते हैं नया बिहार बनाने का! हिंसा और गुंडई के जरिये ये कैसा बिहार बनाना चाहते हैं, तस्वीरों में देख लीजिए…#ISupportSanjayJaiswal pic.twitter.com/aSQwxhI2Dg
— BJP Bihar (@BJP4Bihar) May 13, 2019
सांसद संजय जायसवाल कोई नए-नवेले नेता नहीं हैं। उनके पिता मदन प्रसाद जायसवाल तीन बार बेतिया लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ख़ुद संजय भी 2009 और 2014 में पश्चिम चम्पारण लोकसभा क्षेत्र (नए परिसीमन के बाद बेतिया लोकसभा क्षेत्र नहीं रहा) से जीत दर्ज कर चुके हैं। ज़िले में इतना बड़ा क़द रखने के बावजूद अगर उनकी हत्या की नौबत आ जाती है और हमलावरों की भीड़ में समुदाय विशेष के होने की बात मीडिया एवं प्रशासन द्वारा छिपाई जाती है (सांसद के दावे के अनुसार), तो यह एक बहुत ही गंभीर मामला है।