Friday, September 13, 2024
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‘असम में अगर शाहजहाँ या शाह ज़लाल से नाम पूछें तो बुद्धिजीवी Victim Card खेलते हैं’: CM सरमा बोले- लैंड जिहाद की लड़ाई में मुझे और मेरे परिवार को खतरा

सीएम सरमा ने कहा था कि मेघालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के परिसर के निर्माण के लिए वनों की बड़े पैमाने पर कटाई की गई, जिसके कारण गुवाहाटी में अचानक बाढ़ आई। उन्होने कहा था कि विश्वविद्यालय के द्वार मक्का (सऊदी अरब का इस्लामी शहर) जैसे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान एक पत्रकार से उसका नाम पूछ लिया था। संयोग से वह पत्रकार मुस्लिम निकला था। इसके बाद वामपंथी-इस्लामी गैंग के साथ-साथ विपक्षी दलों ने सीएम सरमा को सांप्रदायिक बताते हुए हमला बोल दिया था। अब मुख्यमंत्री सरमा ने इसका करारा जवाब दिया है और कहा है कि यह सुरक्षा कारणों से जरूरी था।

उन्होंने अपने बयान का एक वीडियो शेयर करते हुए सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “प्रेस वार्ता में यह नियम होता है कि पत्रकार अपने नाम का परिचय देने के बाद सवाल पूछते हैं। यह सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है। लेकिन, असम में अगर शाहजहाँ या शाह ज़लाल से नाम पूछें तो बुद्धिजीवी ‘Victim Card’ खेलने लगते हैं।”

उन्होंने कहा कि वे असम में लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, इसलिए ‘टूलकिट’ गैंग द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “लैंड जिहाद का Toolkit जानिए। असम में बदलते जनसांख्यिकी के खिलाफ जो मैं लड़ाई लड़ रहा हूँ, उससे मुझे और मेरे परिवार को बहुत बड़ा खतरा है। Ecosystem के लोग मुझे जितना भी गाली देना चाहें, दे सकते हैं, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूँगा।”

कॉन्ग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा इसे मुद्दा बनाने को लेकर सीएम ने कहा, “असम में लोकसभा चुनाव के बाद जिन क्षेत्रों में एक पार्टी ने अपना वोट शेयर बढ़ाया, वहाँ इस पार्टी के समर्थकों यानी एक विशेष समुदाय को इतना साहस प्राप्त हुआ कि वह अपना दबदबा बनाने के चक्कर में हैं। हिंदू महिलाओं पर जो अत्याचार की घटना आ रही है इसी का परिणाम है।”

उन्होंने आगे कहा, “असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध भी एक बड़ी अतिक्रमण रणनीति का हिस्सा है। वे परिवारों को डराते हैं और फिर उनकी ज़मीन हड़प लेते हैं। धींग का पवित्र शहर और हाल ही में एक हिंदू नाबालिग के खिलाफ अपराध की जगह पर कभी 90% हिंदू आबादी थी। आज यहाँ 90% मुस्लिम आबादी है।”

दरअसल, 21 अगस्त को मीडिया से बातचीत के दौरान शाह आलम नाम के एक ऑनलाइन मीडिया के पत्रकार ने सीएम सरमा से सवाल पूछा। आलम ने पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने उनके जालुकबारी निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मंडकाटा में पहाड़ियों की कटाई के खिलाफ कोई कार्रवाई की है।

इस पर सीएम सरमान ने आलम से कहा कि अगर उनके पास पहाड़ी काटने का वीडियो फुटेज है तो उसे साझा करें। उन्होंने कहा कि अगर पहाड़ी कट रही है तो उसे रोकना होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मंडकाटा पहाड़ी की कटाई गुवाहाटी में अचानक आई बाढ़ का कारण नहीं हो सकती।

इस दौरान सीएम ने पत्रकार से उसका नाम पूछ लिया। पत्रकार ने अपना नाम भी बताया। इसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी का नाम लिया, जिसके संस्थापक एवं चांसलर एक मुस्लिम महबूबुल हक हैं। इससे पहले सरमा ने गुवाहाटी में बाढ़ के लिए इस यूनिवर्सिटी को भी जिम्मेवार बताया था।

उन्होंने कहा था कि मेघालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के परिसर के निर्माण के लिए वनों की बड़े पैमाने पर कटाई की गई, जिसके कारण गुवाहाटी में अचानक बाढ़ आई। उन्होने कहा था कि विश्वविद्यालय के द्वार मक्का (सऊदी अरब का इस्लामी शहर) जैसे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाने की बात कही थी।

इस मामले को वामपंथी और इस्लामी गैंग के साथ-साथ विपक्षी दलों ने सांप्रदायिक बताकर खूब उछाला था। कॉन्ग्रेस के जयराम रमेश ने कहा था, “असम के मुख्यमंत्री ने जो कहा वह अस्वीकार्य और निंदनीय है। बीमार दिमाग और बड़बोलापन एक जहरीला मिश्रण है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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