नेशनल कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक ने एसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के परिवार पर की गई बयानबाजी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में माफी माँगी है। वानखेड़े के पिता ने मलिक के ख़िलाफ़ मानहानि का केस दायर किया था। इसी केस पर सुनवाई के दौरान मलिक ने माफी माँगी।
उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिया हुआ था कि वो वानखेड़े परिवार के खि़लाफ़ कोई बयानबाजी नहीं करेंगे लेकिन तब भी उन्होंने टिप्पणी की। ऐसे में कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजा और उनसे एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा।
इस हलफनामे में कोर्ट ने उन्हें ये बताने को कहा था कि आखिर ज्ञानदेव वानखेड़े और परिवार के खिलाफ बयानों के संबंध में अपने (कोर्ट के) पहले के आदेशों का ‘जानबूझकर उल्लंघन’ करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
इस नोटिस के बाद मलिक ने कोर्ट को दिए बयान में अदालत से बिना शर्त माफी माँगी। उन्होंने कोर्ट को कहा कि उनकी मंशा आदेशों का अनादर करने की नहीं थी। उन्होंने कहा कि ऐसा उल्लंघन केवल मीडिया के सवालों का जवाब देने के चक्कर में हुआ।
अपने तीन पृष्ठों के हलफनामे में मलिक ने अंत में कहा, “हालाँकि, मुझे विश्वास है कि मेरा बयान मुझे केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग और उनके अधिकारियों के अपने कर्तव्यों के दौरान आचरण पर टिप्पणी करने से नहीं रोकेगा।”
हाईकोर्ट में दायर किए गए हलफनामे पर वानखेड़े के वकील बीरेंद्र सरफ ने कोर्ट का ध्यान आखिर पंक्तियों पर दिलाया और कहा कि उन्हें इस बात से दिक्कत नहीं है कि मलिक राजनीतिक मुद्दों पर बात करते हैं, बस उन्हें वानखेड़े के बारे में नहीं बोलना चाहिए।
इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नवाब मलिक की ओर से पेश किया गया माफीनामा कबूल किया और कहा कि आगे निर्देश देने की जरूरत नहीं है। बता दें कि मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके और सोशल मीडिया के जरिए समीर वानखेड़े के लिए, उनके पिता के लिए और अन्य के लिए बयानबाजी की थी। ऐसे में ज्ञानदेव वानखेड़े ने बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँच मलिक के ख़िलाफ़ मानहानि का केस दायर किया था।