महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार ने राज्य की लगभग 14000 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करने का फैसला लिया था। इस प्रक्रिया में सरकार ज़िला संरक्षक मंत्रियों को भी संज्ञान में लेने वाली थी। महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले पर खूब सवाल किए थे।
अब एनसीपी ने ग्राम पंचायत प्रशासक पद के लिए 11000 रुपए बतौर पार्टी फंड माँगे हैं। राज्य सरकार की तरफ से प्रशासकों की नियुक्ति का आदेश जारी होने के बाद, पुणे के एनसीपी जिलाध्यक्ष प्रदीप गारटकर ने 14 जुलाई को आस-पास की सभी तहसीलों के मुखियाओं को 11000-11000 रुपए देने का निर्देश जारी किया।
लॉकडाउन और कोरोना वायरस के चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम पंचायत के सभी चुनावों की तारीख़ टाल दी थी। यही वजह थी कि पंचायत में प्रशासकों की नियुक्ति का आदेश जारी किया गया था। अकेले पुणे की 750 ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए जाने की ज़रूरत है, जिसके लिए कई हज़ार आवेदन आएँगे। इस क्षेत्र में ज़्यादातर पंचायत भाजपा और एनसीपी के अधीन हैं।
पुणे की इन्हीं 750 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्त के लिए एनसीपी पुणे के अध्यक्ष ने एक पत्र लिखा। इस पत्र में जिन तहसीलों की ग्राम पंचायतों में चुनाव होने वाले हैं, उन (पार्टी के) सभी तहसीलों के मुखियाओं को प्रशासकों की नियुक्ति से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किया गया था।
इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आवेदन करने वाले हर व्यक्ति को आवेदन पत्र अनिवार्य रूप से भरना है। लेकिन इसके साथ ही, एनसीपी पुणे के आधिकारिक बैंक एकाउंट में 11000 रुपए भी डलवाने होंगे, जो कि पार्टी फंड में जाएगा और आवेदन करने वालों को वापस नहीं किया जाएगा।
पंचायत में प्रशासकों की नियुक्ति के लिए जारी किए गए इस आवेदन पत्र में प्रदीप गारटकर और पुणे शहर का नाम भी लिखा हुआ है। साथ ही इसमें आवेदक से उसकी जाति, शैक्षणिक योग्यता, गवर्नेंस/सामाजिक कार्य में अनुभव और पार्टी में निभाए किसी दायित्व की जानकारी भी माँगी गई है।
पुणे के डिविजनल कमिश्नर दीपक म्हाईसेकर ने इस मुद्दे पर कहा है कि उन्हें एनसीपी के पार्टी फंड माँगने वाले आदेश के बारे में जानकारी नहीं है। पुणे के एनसीपी जिलाध्यक्ष प्रदीप गारटकर ने इस मामले में अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मालिक ने हालाँकि बताया कि पार्टी ने प्रशासकों की नियुक्ति से जुड़ा इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा, “अगर वह आने वाले चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और उम्मीदवारों को तैयार कर रहे हैं तो उसमें कोई परेशानी नहीं है। लेकिन अगर यह पंचायत में प्रशासकों से जुड़ा मामला है तो गलत है।”