केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पीछे की वजह आतंकवाद का खात्मा करना बताया था। सरकार ने कहा था कि वो देश से आतंकवाद की जड़ को समाप्त करना चाहती थी, इसलिए प्रदेश से 370 को निष्क्रिय किया जा रहा है। सरकार का आतंकवाद की समाप्ति की दिशा में उठाया गया कदम सार्थक होता दिखाई दे रहा है।
जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की संख्या पहले से काफी कम हो गई है। कभी घाटी में हजारों की संख्या में सक्रिय रहने वाले आतंकियों की संख्या घटकर महज 150 से 200 के बीच रह गई है। यह जानकारी प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के सलाहकार फारूक खान ने रविवार (सितंबर 1, 2019) को जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए दी। इस दौरान खान ने कहा कि आतंकियों को या तो जेल जाना होगा या फिर कड़ी सजा झेलनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि 1947 के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर की शांति भंग करने की कोशिश की है। इसलिए पाकिस्तान से कुछ अच्छा होने की उम्मीद करना सबसे बड़ी गलती होगी। प्रदेश के हर नागरिक को उससे सावधान रहने की आवश्यकता है। फारूक खान कहा कि पिछले कुछ दशक से आतंकवाद से लड़ने में स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों की काफी मदद की है। उन्होंने कहा, “वे हमारे आँख-कान हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि कहाँ क्या हो रहा है।”
फारूक खान ने कहा कि स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों को आतंकियों से लड़ने में हमेशा मदद की है और वो आगे भी लगातार अपना सहयोग देते रहेंगे। लोगों के सहयोग के बिना आतंकवाद से नहीं लड़ा जा सकता। उनके सहयोग के कारण ही आतंकवादियों की संख्या पहले के हजारों से घटकर 150 से 200 के बीच रह गई है।
खान ने कश्मीर के मौजूदा हालात पर कहा कि अब वहाँ पर हालात पूरी तरह से सामान्य हो रहे हैं। संचार की थोड़ी बहुत समस्या है, लेकिन 75 फीसदी लैंडलाइन फोन और कुछ इलाकों में मोबाइल सेवा बहाल हो चुकी है। जल्द ही सब जगह संचार नेटवर्क काम करेगा। आने वाले दिनों में पाबंदियों में और छूट दी जाएगी। राज्य के लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है। राज्य का पुनर्गठन होने से लोगों को फायदा मिलेगा। सरकार बहुत जल्द 50 हजार नौकरियाँ देने जा रही है। हर एक भर्ती पूरी तरह से पारदर्शी होगी।
वहीं हिरासत में लिए गए लोगों के रिश्तेदारों द्वारा उनसे मिलने न दी जाने की बात को खान ने पूरी तरह से स्वार्थी तत्वों का झूठा प्रचार करार देते हुए कहा कि जेल को नियमावली एवं कानून के अनुसार हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से उनके रिश्तेदारों को मिलने दिया जाता है।