Thursday, November 14, 2024
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बाँधों के मरम्मत कार्य को रोक रहा नेपाल, बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ का खतरा

"पहली बार हम लोग इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुँचा पा रहे हैं। हमारे स्थानीय इंजीनियर और डीएम संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और अब मैं मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखूँगा।"

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल सरकार बिहार को परेशान कर रही है। नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि नेपाल गंडक बांध के लिए मरम्मत कार्य की अनुमति नहीं दे रहा है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा नेपाल ने कई अन्य स्थानों पर मरम्मत का काम रोक दिया है। जल संसाधन मंत्री ने कहा, “पहली बार हम लोग इस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं। हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुँचा पा रहे हैं। हमारे स्थानीय इंजीनियर और डीएम संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और अब मैं मौजूदा स्थिति के बारे में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखूँगा।”

उन्होंने आगे कहा कि यदि इस मुद्दे को समय पर नहीं देखा गया तो बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ आ जाएगी। संजय झा ने कहा कि अगर हमारे इंजीनियरों के पास बाढ़ से लड़ने वाली सामग्री नहीं पहुँचेगी तो बाँध की मरम्मत का काम प्रभावित होगा। अगर नेपाल में भारी वर्षा के कारण गंडक नदी का जल स्तर बढ़ता है तो यह एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा।

संजय कुमार झा ने कहा कि गंडक बैराज के 36 गेट हैं, जिनमें से 18 नेपाल साइड में हैं। उसमें उन्होंने बैरियर लगा रखे हैं जो आजतक कभी नहीं हुआ। आगे बाढ़ का समय है उस तरफ बिहार सरकार ही जाकर बाँध को ठीक करती है। नेपाल सरकार बाँध मरम्मत के लिए सामग्री नहीं ले जाने दे रही है। कल भी बाँध से 1.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। यदि बाढ़ से लड़ने वाली सामग्री और हमारे अधिकारी वहाँ नहीं जा पाते हैं, तो उस स्थिति में गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

इसी तरह नेपाल ने पूर्वी चंपारण जिले के गुवारी गाँव में लालबकेया नदी के दाहिने तटबंध पर चल रहे मरम्मत और कटावरोधी कार्यों पर रोक लगा दी है। ललबकेया नदी ‘नो मैंस लैंड’ का हिस्सा है। यह बाँध 20 सालों से है। बिहार ने नदी के ऊपर तटबंध का निर्माण किया था और मानसून से पहले हर साल किलेबंदी का काम करता था। मंत्री के अनुसार उन्हें कभी नेपाल से ऐसी आपत्तियों का सामना नहीं करना पड़ा।

उन्होंने कहा, “मरम्मत का काम पिछले साल तक बिना किसी समस्या के हुआ करता था। इस बार वे ऐसा नहीं होने दे रहे हैं। मधुबनी के जयनगर में कमला नदी के ऊपर भी वे हमें मरम्मत करने नहीं दे रहे हैं।” मंत्री ने यह भी कहा कि स्थानीय इंजीनियर और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह इस मामले को उच्च अधिकारियों के सामने उठाएँगे। संजय झा ने कहा, “मैं उन्हें इस मुद्दे से अवगत कराने के लिए तुरंत विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखूँगा। अगर जल्द ही इसका हल नहीं किया गया तो बिहार का एक बड़ा हिस्सा बारिश के मौसम में बाढ़ में बह जाएगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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