शराब घोटाला समेत भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में घिरी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती दिख रहीं हैं। दरअसल, दिल्ली सरकार पर फीडबैक यूनिट द्वारा नेताओं की जासूसी कराने का आरोप लगा था। इस मामले में कॉन्ग्रेस नेताओं ने NIA से जाँच कराते हुए मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने की माँग की थी। अब इस मामले को दिल्ली के उप-राज्यपाल ने मुख्य सचिव को भेजते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा कहा गया है कि कॉन्ग्रेस नेता संदीप दीक्षित, प्रोफेसर किरण वालिया और मंगत राम सिंगल द्वारा जासूसी काण्ड की जाँच कराने की माँग की गई थी। साथ ही कहा था कि इसकी जाँच गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा कराई जाए। अब इस मामले में उप-राज्यपाल ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव को कहा है कि वह इस पर आवश्यक कार्रवाई करें।
Trouble mounts for #AAP in connection to alleged snoopgate. #Delhi L-G has forwarded to Chief Secretary a request by #Congress leaders demanding inquiry under UAPA by NIA. @NiyamikaS reports pic.twitter.com/kXOmQBemxm
— Mirror Now (@MirrorNow) March 13, 2023
चूँकि अब मामला मुख्य सचिव के पाले में है, ऐसे में अब देखना होगा कि वह इस मामले की जाँच NIA से कराने के लिए एक्शन लेते हैं या नहीं। वैसे जासूसी कांड मामले में CBI पहले ही जाँच कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गत 22 फरवरी को मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे दी थी।
क्या है पूरा मामला
साल 2015 में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) का नियंत्रण चाहते थे। लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद केजरीवाल ने अपने सतकर्ता विभाग के तहत फीडबैक यूनिट बनाने का फैसला किया। इस यूनिट का उद्देश्य दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्थाओं की निगरानी करते हुए सुधार के लिए फीडबैक देना था। हालाँकि, आरोप है कि दिल्ली सरकार के इशारे पर इस फीडबैक यूनिट ने विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी करनी शुरू कर दी। कई नेताओं के कामकाज पर भी नजर रखने का आरोप है।
सीबीआई के आरोप
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में कैबिनेट की बैठक में फीडबैक यूनिट के लिए प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन इसके लिए कोई एजेंडा नोट वितरित नहीं किया गया। फीडबैक यूनिट में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा है कि फीडबैक यूनिट ने अनिवार्य जानकारी एकत्र करने के अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी जुटाई है।
सीबीआई ने फरवरी 2016 और सितंबर 2016 के बीच फीडबैक यूनिट द्वारा जारी रिपोर्टों का भी विश्लेषण किया। इन रिपोर्ट्स के आधार पर सामने आया कि इसमें से 40% रिपोर्ट राजनीतिक दलों के नेताओं की जासूसी पर हैं। साथ ही सीबीआई ने कहा है कि फीडबैक यूनिट के निर्माण और काम करने के गैरकानूनी तरीके से सरकारी खजाने को लगभग 36 लाख रुपए का नुकसान हुआ।