मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपने डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफ़ा देने वाली निशा बांगरे को अपनी नौकरी वापस चाहिए। बांगरे को कॉन्ग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट का वादा किया था लेकिन यह पूरा नहीं हुआ। अब बांगरे ने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें उनकी सरकारी नौकरी वापस दे दी जाए। इसके लिए उन्होंने एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से सहानुभूति दिखाने का आग्रह किया है।
मध्य प्रदेश शासन को लिखे गए एक पत्र में उन्होंने लिखा कि उन्होंने अपनी सेवा के दौरान अपना काम पूरी निष्ठा से किया है। उन्होंने कहा कि उनका रिकॉर्ड साफ़ रहा है और उन्होंने एक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति ना मिलने पर इस्तीफ़ा दिया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से मात्र 2 दिन पहले ही उनका इस्तीफ़ा मंजूर हुआ और वह नामांकन नहीं दाखिल कर पाई। उन्होंने इन्हीं सब बातों को आधार बनाते हुए कहा कि उन्हें शासन सेवा में वापस ले ले। उन्होंने कहा है कि वह दायित्व का निर्वहन सही तरीके से करेंगी।
निशा बांगरे 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश के छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद पर तैनात थीं। उन्होंने बैतूल जिले की अमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मन बनाया था। इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार को अपना इस्तीफ़ा सौंपा था। उनको कॉन्ग्रेस ने अमला विधानसभा से टिकट का भरोसा भी दिया था। बांगरे ने अपने इस्तीफे को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार पर खूब हमले बोले थे। बांगरे ने अपना इस्तीफ़ा सरकार से मंजूर करवाने के लिए एक यात्रा भी निकाली थी।
उन्होंने भाजपा सरकार पर काफी आरोप लगाए थे। उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सरकार से मंजूर करवाने के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक का रुख किया था। उनकी यात्रा में भी खूब बवाल हुआ था। उन्होंने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को महिला विरोधी होने का तमगा दिया था। कॉन्ग्रेस ने उनके इस्तीफे को देखते हुए अमला विधानसभा पर टिकट का ऐलान रोक भी लिया था। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने बाद में यह सीट दूसरे प्रत्याशी को दे दी। निशा का इस्तीफ़ा भी मंजूर हो गया और वह सेवा से बाहर हो गईं।
कॉन्ग्रेस से टिकट ना मिलने के बाद वह संगठन में किसी बड़े पद का इन्तजार करती रहीं। जब उन्हें यह भी नहीं मिला तो उन्होंने जनवरी, 2024 में नौकरी वापस पाने के लिए पत्र लिख दिया। उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया है कि उनके इस निर्णय के पीछे उनका परिवार है। निशा बांगरे ने बताया कि कॉन्ग्रेस ने उनसे लोकसभा टिकट का भी वादा किया था लेकिन यह भी पूरा नहीं किया। उन्हें कॉन्ग्रेस में प्रवक्ता की कुर्सी दी गई थी। हालाँकि, वह इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हुईं और अब वह नौकरी वापस माँग रही हैं।
निशा बांगरे का कहना है कि उन्हें किसी ने बताया था कि लोगों ने चुनाव लड़ कर भी वापस नौकरी ज्वाइन की है। ऐसे में उन्होंने जब चुनाव लड़ा ही नहीं तो फिर वह भी नौकरी वापस पा सकती हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने अभी उन्हें इस विषय में कोई जवाब नहीं दिया है।