मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलाधिपति जफर सरेशवाला ने देश में चल रही सांप्रदायिक और सेक्युलर राजनीति की बहस और भाजपा को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने बिहार में मात्र 20 सीटों पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कहा कि एक बात मुस्लिम समुदाय में बहुत पहले से रहनी चाहिए थी और वो भी वर्षों से कहते आ रहे हैं कि देश में कोई पार्टी सेक्युलर नहीं है और न ही कोई कम्युनल है।
उद्योगपति जफर सरेशवाला ने कहा कि समय आने पर ये पार्टियाँ सेक्युलर बन जाती हैं और समय आने पर कम्युनल भी हो जाती हैं। उन्होंने मुस्लिमों को सलाह दी कि कॉन्ग्रेस पार्टी को सेक्युलर समझना सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी है। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी सेक्युलर नहीं है, ये बस मुस्लिमों के वोट लेना जानती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने बिहार में भी मुस्लिमों को ठीक से टिकट नहीं दिया और समुदाय के साथ बेईमानी की।
उन्होंने कहा कि बिहार में 243 सीटों पर मात्र 19 मुस्लिम विधायक ही चुन कर आए, जिनमें से 5 AIMIM और 1 उसके गठबंधन साथी बसपा के थे। उन्होंने पूछा कि अगर असदुद्दीन ओवैसी नहीं होते तो क्या एक भी मुस्लिम को टिकट दिया जाता? उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस को सेक्युलर समझना बेवकूफी होगी। इसके बाद उन्होंने उदाहरण दिया कि समाजिक और आर्थिक रूप से मुस्लिम समुदाय सबसे ज्यादा समृद्ध गुजरात में है।
इसके बाद उन्होंने उदाहरण दिया कि इन मानकों पर मुस्लिम समुदाय सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ पश्चिम बंगाल एवं असम में है, जिसके बाद बिहार का नंबर आता है। उन्होंने याद दिलाया कि जहाँ गुजरात में पिछले 25 वर्षों से भाजपा का शासन है, वहीं पश्चिम बंगाल में तो आज़ादी से लेकर अब तक कभी भाजपा का शासन रहा ही नहीं। उन्होंने कहा कि असम में 2017 में पहली बार भाजपा का शासन आया, वहीं बिहार में नीतीश कुमार हैं।
#BiharElectionResults No Political Party is #Secular & no Party is #Communal! Worst position of #Muslims in Every Economic Indicator is in #WestBengal where @BJP4India has never Ruled& Best position is in #Gujarat where @BJP4India is Ruling since #1995! Puzzling? pic.twitter.com/27yjBXyAwQ
— zafar sareshwala (@zafarsareshwala) November 15, 2020
उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि कॉन्ग्रेस चाहती है कि उसके नेता इस्लामी टोपी पहन लें, मुशायरें कर लें और बिरयानी खिला दें तो मुस्लिम वोट उनका हो जाए, जो अब नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम ये सोचते हैं कि भाजपा आए ही, उसकी 6 साल से शासन है, गुजरात में 25 साल से है, क्या बिगड़ गया? उन्होंने कहा कि मुस्लिम समझ गए हैं कि कोई पार्टी सेक्युलर नहीं है।
I totally concur with what @asadowaisi Sahab has been saying about the so called #Secular Political Partys ! Why the #Muslims should go to the Compounder not go directly to the Doctor ! Listen 👂 in what I said to @ABPNews with regards to #BiharElectionResults pic.twitter.com/B9yvgA3Zoj
— zafar sareshwala (@zafarsareshwala) November 15, 2020
उन्होंने कहा कि यूपी में एक चुनाव के समय मायावती और बिहार में नीतीश कुमार को लेकर संशय था तो उन्होंने सीधा कहा कि वैसे भी ये भाजपा से जाकर मिलने वाले हैं तो भाजपा को ही क्यों न वोट दिया जाए? उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि जब डॉक्टर है तो कम्पाउंडर से इलाज क्यों? उन्होंने मुस्लिमों को सीधा भाजपा से बात करने की सलाह देते हुए कहा कि जैसे नोट का कोई रंग नहीं होता, वोट का भी नहीं होता – इसीलिए मुस्लिम समाज स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ बैठे।
हाल ही में असदुद्दीन ओवैसी ने भी कहा था कि कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ ये समस्या है कि वो सोचती है कि सभी उसके सामने झुकें लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि अब कॉन्ग्रेस के दिन लद गए हैं। उन्होंने याद दिलाया था कि कैसे कॉन्ग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे मात्र 19 सीटें मिलीं। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी चुनाव इसीलिए लड़ती है, ताकि कट्टरता हावी न हो। उन्होंने पूछा था कि राजीव गाँधी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया, क्या वो कट्टरता नहीं थी?