कर्नाटक के कैम्पस में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा है कि एक दिन हिजाबी प्रधानमंत्री बनेगी। उन्होंने रविवार (13 फरवरी 2022) को एक वीडियो ट्वीट कर यह बात कही।
ट्वीट किए गए वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “इंशाअल्लाह एक दिन एक हिजाबी प्रधानमंत्री बनेगी।” इसमें ओवैसी को कहते सुना जा सकता है, “हम अपनी बेटियों को इंशाअल्लाह अगर वो फैसला करती है कि अब्बा-अम्मी मैं हिजाब पहनूँगी, तो अम्मा-अब्बा कहेंगे- बेटा पहन, तुझे कौन रोकता है हम देखेंगे। हिजाब, नकाब पहनेंगे कॉलेज को जाएँगे, डॉक्टर भी बनेंगे, कलेक्टर भी बनेंगे, एसडीएम भी बनेंगे, बिजनेस मैन भी बनेंगे। एक दिन तुम याद रखना मैं शायद जिंदा न रहूँगा, तुम देखना एक दिन एक बच्ची हिजाब पहनकर इस देश का प्रधानमंत्री बनेगी।”
इंशा’अल्लाह pic.twitter.com/lqtDnReXBm
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 12, 2022
इससे पहले ओवैसी ने कहा था, “हिजाब पहनकर फुटबॉल वर्ल्ड कप खेल सकते हैं, इंटरनेशनल बास्केटबॉल टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकते हैं। आप क्या कर रहे हैं। आप बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ने नारे के बीच देश को कहाँ लेकर जा रहे हो।”
उन्होंने इस विवाद पर राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल करते हुए कहा था कि बीजेपी की रैलियों में मुस्लिम महिलाएँ नकाब और हिजाब पहनकर जाती हैं। नड्डा जी की आरती उतारती हैं, तब सब अच्छा है। फिर नकाब और हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज जाने पर पाबंदी क्यों? क्यों डबल-डबल चेहरे बनाते हैं? जब उनसे कहा गया कि शैक्षणिक संस्थानों में ऐसा करने पर एक खाई बनती है, तो औवेसी ने कहा था, “यमन की एक लड़की को नोबेल प्राइज मिला, वो भी हिजाब में हैं। यानी नोबेल प्राइज देने वालों को भी हिजाब से कोई ऐतराज नहीं है।”
जब ओवैसी से पूछा गया कि वे तीन तलाक पर कुछ नहीं बोलना चाहते लेकिन हिजाब पर बढ़ चढ़कर बोल रहे हैं, तो लोकसभा सांसद ने कहा था कि तीन बार संसद में तीन तलाक का कानून लाया गया, तब हम ही बोल रहे थे और कोई दूसरा नहीं बोला। उन्होंने कहा था, “एक बच्ची की बहादुरी की तारीफ करना कोई बुरी बात नहीं है। हम कह रहे हैं कि अगर वो बच्ची मुस्कान नहीं होती, लक्ष्मी होती तो भी मैं उसकी तारीफ करता। किसी भी लड़के को अधिकार नहीं है कि वो किसी लड़की को जाकर इस तरह से घेरे। ये तो आप गुंडागर्दी कर रहे हैं। आप कैसे किसी महिला के खिलाफ ऐसे कर सकते हैं। वो किसी की बेटी किसी की औलाद है, उसे घेर के ऐसे नारे नारे नहीं लगा सकते है।”
नोट: भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव तक। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, लेकिन ये बुर्का के लिए हो रहा है।