बिहार से आने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव को सरकार ने बंगला खाली करने को कहा तो वे उसे ऐसे छोड़ कर गए हैं कि बिना भारी मरम्मत के किसी ‘माननीय’ के तो दूर की बात, किसी आम-से-आम आदमी के रहने लायक नहीं बचा है। मीडिया रिपोर्टों में उनके जाने के बाद बंगले के नज़ारे की तुलना युद्ध में मची तबाही से की गई है। फर्नीचर बिखरा पड़ा है, कमरों से खिड़की-दरवाज़े तो दीवारों से टाइलें निकाल ली गईं हैं। बताया जा रहा है कि बंगले की इस हालत का कारण यहाँ हुए ‘अतिरिक्त’ निर्माण कार्य को हटाया जाना है।
‘बिहार से आए 400 लोगों का रहता था इंतज़ाम’
पप्पू यादव का यह बंगला दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में से एक लुटियंस ज़ोन में स्थित था। बलवंत राय मेहता लेन स्थित 11A बंगले में मौजूद यादव के निजी सचिव अजय कुमार के मुताबिक पप्पू यादव ने यहाँ पर 400 लोगों के ठहरने की व्यवस्था स्थापित की थी। अजय कुमार बताते हैं कि यह उन लोगों के लिए थी, जो मधेपुरा (सांसद के निर्वाचन क्षेत्र) सहित बिहार से दिल्ली इलाज कराने आते हैं। बंगले के बाहर ‘सुभाष चंद्र बोस सेवाश्रम’ का बोर्ड भी लगा था।
तोड़-फोड़ की तोहमत CPWD पर
अजय कुमार ने तोड़-फोड़ की तोहमत CPWD (केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग) पर लगाया है। उनके हिसाब से सारी तोड़-फोड़ CPWD अधिकारियों की मौजूदगी में की गई। वहीं मीडिया से बात करते हुए विभाग के अधिकारी इस दावे को सिरे से नकार रहे हैं। उनका कहना है कि विभाग को हाथ वहाँ लगना पड़ता है, जहाँ से बंगला जबरन खाली कराया जा रहा हो, जबकि पप्पू यादव का नाम अभी जबरिया खाली कराए जाने की सूची में था ही नहीं।
अखिलेश भी कर चुके हैं हरकत
इसके पहले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी ऐसी ही हरकत कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हारने के बाद पहले तो उन्होंने ये-वो बहाने कर के बंगला छोड़ा ही नहीं, और जब छोड़ा, तो उसकी टोंटियाँ तक साथ ले गए। वहीं पप्पू यादव के ही गृह राज्य बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का बंगला लंबी जद्दोजहद के बाद जब यादव का पदभार संभालने वाले सुशील मोदी को मिला तो पता चला कि तेजस्वी यादव ने बंगले में तमाम निर्माण कार्य करा रखा था। मोदी ने पत्रकारों को आलीशान बंगले का भ्रमण कराया, और उसके सौन्दर्यीकरण में तेजस्वी यादव के खर्च को करोड़ों के सरकारी धन का दुरुपयोग बताया था।