चुनावों के नज़दीक आते-आते राजनैतिक पार्टियों और राजनेताओं की हक़ीकतों का सामने आना अब जैसे आम हो चुका है। ख़बरों के अनुसार इसी कड़ी में पेरम्बुर में विधानसभा उपचुनाव के नामांकन के दौरान एक प्रत्याशी के हलफ़नामे से एक अजीबोगरीब ख़ुलासा हुआ।
निर्दलीय उम्मीदवार जे मोहनराज ने अपने हलफ़नामे में इस बात की घोषणा की कि उन्होंने ₹4 लाख करोड़ का क़र्ज़ा विश्व बैंक से लिया है। जबकि ₹1.76 लाख करोड़ इनके पास कैश के रूप में मौजूद है। वहीं मोहनराज की पत्नी के पास ₹20,000 कैश और ₹2 लाख 50 हज़ार के क़ीमती गहने हैं।
ग़ज़ब की बात तो तब हुई जब मोहनराज ने अपने इस हलफ़नामे में बताया कि उन्होंने विश्व बैंक को सारा पैसा लौटा दिया है। जेबामणि जनता पार्टी के उम्मीदवार जे मोहनराज चेन्नई के पेरम्बुर विधानसभा क्षेत्र में कार्यालय के लिए लड़ रहे हैं। खबरों के मुताबिक मोहनराज ने अपने नाम पर भारतीय बैंकों से भी ₹3 लाख की बकाया राशि के कुछ ऋण लिए हैं। चुनाव आयोग द्वारा उनका हलफ़नामा स्वीकार लिया गया है।
So J Mohanraj, an independent candidate for Perambur bye-election, says he has taken Rs 4 lakh crore loan from the World Bank in his election affidavit.
— Shilpa Nair (@NairShilpa1308) April 3, 2019
Now from where do I get a World Bank loan application form? ?? pic.twitter.com/ooSPeIkOpq
मोहनराज के इस हलफ़नामे में एक और घोषणा हुई है कि उन्होंने आख़िरी बार आयकर रिटर्न 2002-03 में किया था। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है मोहनराज ने इस तरह की घोषणा की हो। हिन्दुस्तान टाइम्स में 2009 में प्रकाशित ख़बर के अनुसार उन्होंने साल 2009 के चुनावों में भी खुद को सबसे अमीर व्यक्ति दर्शाते हुए बताया था कि उनके पास ₹1,977 करोड़ की जमापूँजी है।
मोहनराज सोचते हैं कि ईमानदारी से अपनी सारी संपत्ति के बारे में बताना देशहित का कार्य है। उनके ऐसा करने के पीछे यह दर्शाना है कि किस तरह अन्य नेताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट का मज़ाक बनाया जा रहा है और साथ ही सभी चुनावी नियमों और मानदंडों का उल्लंघन भी हो रहा है।
मोहनराज का कहना है- “अगर उच्च राजनेताओं ने अपनी पूँजी को सही घोषित किया है तो मेरी घोषणा भी सही है। मैं कहूँगा कि मेरी सारी संपत्ति स्विस बैंक में है और अगर आप काला धन वापस लाएँगे तो मेरा नाम भी उस सूची में होगा।” आपको बता दें कि मोहनराज ऐसी झूठी जानकारी केवल एक संदेश के तहत देना चाहते हैं। उनका कहना है, “2016 में मैंने दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा था और हलफनामे में गलत जानकारी दी थी। कोई जांच नहीं हुई। जब बड़े-बड़े नेता अपने एफिडेविट में गलत जानकारी दे सकते हैं तो मैं क्यों नहीं?”