संविधान दिवस के मौके पर आज (नवंबर 26, 2020) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने गुजरात के केवड़िया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना संबोधन देते हुए कई मुद्दों पर राय रखी। इस दौरान उन्होंने 26/11 हमले में मारे गए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही उन सभी सम्मानित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने संविधान को बनाने में योगदान दिया।
PM Shri @narendramodi‘s address on Constitution Day. https://t.co/urtR1gP5n4
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबोधन में एक राष्ट्र और एक चुनाव (One Nation, One Election) पर बात की। उन्होंने कहा कि यह केवल विमर्श का विषय नहीं है बल्कि देश की जरूरत है। इससे विकासात्मक कार्य बाधित होता है, जिसके बारे में सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनावों के लिए एक लिस्ट का इस्तेमाल होना चाहिए। अब क्यों पैसा और समय इन पर बर्बाद कर रहे हैं?
Only one voter list should be used for Lok Sabha, Vidhan Sabha and other elections. Why’re we wasting time and money on these lists?
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
– PM @narendramodi
उन्होंने पूर्ण डिजिटाइजेशन पर जोर देते हुए कहा कि आम आदमी के पास हर सदन के कामकाज का डाटा होना चाहिए और देश के हर सदन के पास भी ऐसा डाटा होना चाहिए। उन्होंने इस विषय पर सोचने को कहा कि कैसे युवा विधानसभा की चर्चा में बात कर सकता है।
The time for complete digitization is here.
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The common man must have data for the functioning of every House and every House in the country should also have such data.
– PM @narendramodi pic.twitter.com/g1PtaQUe5k
उन्होंने संविधान और कानून को लेकर भी अपने विचार रखे। पीएम ने कहा कि हमारे यहाँ बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है। मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है।
हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति को समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है।
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है।
– पीएम @narendramodi
प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके। हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है। इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा।”
उन्होंने बताया कि समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं।
इस संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर अधिकारियों की अध्यक्षता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा आप सभी कानूनविद के रूप में, लोगों और राष्ट्र के बीच एक महत्तवपूर्ण कड़ी हैं। आप कार्यकारी, न्यायपालिका और विधायिका के बीच समन्वय को बेहतर बनाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर संविधान सभा के सभी व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से देश को संविधान मिला है।
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है।
– पीएम @narendramodi pic.twitter.com/MDLPK3BkwN
अपनी बात रखते हुए पीएम ने डॉ राजेंद्र प्रसाद और बाबा अंबेडकर से लेकर सभा के सभी व्यक्तियों को नमन किया और इस दिन को महात्मा गाँधी की प्रेरणा और सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन बताया। उन्होंने 26/11 में मारे गए जवानों को याद करते हुए आज आतंकी साजिश नाकाम करने के लिए सुरक्षाबल का वंदन किया।
आगे वैश्विक महामारी के समय में किस प्रकार जनता ने परिपक्वता का परिचय दिया, उसके लिए भी पीएम ने भारतीय संविधान के तीनों के अंगों को श्रेय दिया और कहा कि भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है। इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है।
हमारे निर्णय का आधार एक ही मानदंड होना चाहिए और वो है राष्ट्रहित।
— BJP (@BJP4India) November 26, 2020
राष्ट्रहित ही हमारा तराजू होना चाहिए।
हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।
– पीएम @narendramodi pic.twitter.com/X9x2Ox6Sl3
वे बोले, “हमारे निर्णय का आधार एक ही मानदंड होना चाहिए और वो है राष्ट्रहित। राष्ट्रहित ही हमारा तराजू होना चाहिए। हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।”
इस मौके पर पीएम मोदी ने सरदार सरोवर डैम पर बात की और कहा कि केवड़िया प्रवास के दौरान आपने विशालता देखी है, भव्यता देखी है, उसकी शक्ति देखी है। लेकिन इस डैम का काम बरसों तक अटका रहा। आजादी के कुछ वर्षों बाद शुरु हुआ था, अभी कुछ वर्ष पहले ये पूरा हुआ। जनहित का ये प्रोजेक्ट लंबे समय तक अटका रहा।
इसी बांध से पैदा हुई बिजली से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को लाभ हो रहा है।
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ये सब बरसों पहले भी हो सकता था। लेकिन बरसों तक जनता इनसे वंचित रही।
जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें कोई पश्चाताप भी नहीं है।
उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है।
हमें देश को इस प्रवृत्ति से बाहर निकालना है। pic.twitter.com/TBylx2b0tv