Monday, December 23, 2024
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सोमनाथ मंदिर सरदार पटेल का ‘यज्ञ’… उसी का विस्तार अयोध्या राम मंदिर: PM मोदी ने नेहरू-कॉन्ग्रेस पर साधा निशाना

तब नेहरू सरकार ने पत्र-पत्रिकाओं में सोमनाथ के उद्घाटन की खबरें छपने ही नहीं दीं। केएम मुंशी के साथ सरदार पटेल तो थे, लेकिन नेहरू ने इसे व्यक्तिगत आस्था की बात बताते हुए फंड्स देने से ही इनकार कर दिया था।

भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मतिथि को पूरा देश ‘एकता दिवस’ के रूप में मनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (अक्टूबर 31, 2020) को इस अवसर पर गुजरात के केवडिया में स्थित ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। देश के एकीकरण में उनके योगदानों को याद करते हुए पीएम मोदी ने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।

पीएम मोदी ने कहा कि सोमनाथ के पुनर्निर्माण से सरदार पटेल ने भारत के सांस्कृतिक गौरव को लौटाने का जो यज्ञ शुरू किया था, उसका विस्तार देश ने अयोध्या में भी देखा है। साथ ही उन्होंने इसे वर्तमान से जोड़ते हुए कहा कि आज देश राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का साक्षी बना है और भव्य राम मंदिर को बनते भी देख रहा है। गुजरात के सौराष्ट्र में पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित सोमनाथ को पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के सरयू किनारे स्थित अयोध्या से जोड़ा।

ये इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका जिक्र कर के पीएम मोदी ने इशारों ही इशारों में ये भी बता दिया कि इस्लामी आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों के जीर्णोद्धार को लेकर दशकों से कॉन्ग्रेस का रुख समान ही रहा है। गुजरात के स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और बाद में केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बनने वाले कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए दिन-रात एक कर दिया था।

जब सरदार पटेल के प्रयासों के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसके उद्घाटन के लिए निमंत्रण भेजा गया, जिस पर नेहरू बिफर गए। उन्होंने डॉक्टर प्रसाद को पत्र लिख कर कहा कि वो किसी ‘संप्रदाय को बढ़ावा देने’ वाले कार्यक्रम में शामिल न हों। हालाँकि, डॉ प्रसाद ने इसे पश्चिमी भारत की सभ्यता का प्रतीक बताया और कार्यक्रम का हिस्सा बने, पर इस कार्यक्रम को सेंसर कर दिया गया।

पत्र-पत्रिकाओं में इससे जुड़ी खबरें छपने ही नहीं दी गईं। केएम मुंशी के साथ सरदार पटेल तो थे, लेकिन नेहरू ने इसे व्यक्तिगत आस्था की बात बताते हुए फंड्स देने से ही इनकार कर दिया था। जब उन्हें कहीं से सूचना मिली कि सौराष्ट्र सरकार इसके लिए वित्त की व्यवस्था कर रही है, तो उन्होने पत्र लिख नाराजगी जताई। नेहरू ने तो कैबिनेट बैठक तक बुला कर डॉ प्रसाद को इसमें शामिल न होने को कहा था।

आज राम मंदिर को लेकर भी कमोबेश कॉन्ग्रेस का यही रुख है। रामसेतु को लेकर तो पार्टी की सरकार ने कोर्ट में ये तक कह दिया था कि राम का कोई अस्तित्व ही नहीं है। वहीं जब मंदिर का शिलान्यास हो गया तो प्रियंका गाँधी बधाई देते हुए राम-राम की रट लगाने लगीं। सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने याद दिलाने की कोशिश की है कि कैसे कॉन्ग्रेस आज़ादी के बाद से ही हिन्दुओं की आस्था के बीच में रोड़ा बन कर खड़ी है।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत की भूमि पर नज़र गड़ाने वालों को मुँहतोड़ जवाब मिल रहा है। आज का भारत सीमाओं पर सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कें बना रहा है, दर्जनों ब्रिज, अनेक सुरंगें बना रहा है। अपनी संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए आज का भारत पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर देश ही अपनी प्रगति के साथ साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी आश्वस्त रह सकता है। इसलिए, आज देश रक्षा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है और इतना ही नहीं, सीमाओं पर भी भारत की नज़र और नज़रिया अब बदल गया है।

पीएम मोदी ने पाकिस्तान संसद के वायरल वीडियो पर कहा कि पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आई हैं, जिस प्रकार वहाँ की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है। उन्होंने याद दिलाया कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं, पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बड़ा उदाहरण है। पीएम मोदी ने आगे कहा:

“आज यहाँ जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था, तो मन में एक और तस्वीर थी। ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की। देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो पुलवामा हमले में अपना राजनीतिक स्वार्थ देख रहे थे। देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी। मैं ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूँगा कि, देश की सुरक्षा के हित में, हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, न आप देश का हित कर पाएँगे और न ही अपने दल का।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें ये हमेशा याद रखना है कि हम सभी के लिए सर्वोच्च हित- देशहित है। जब हम सबका हित सोचेंगे, तभी हमारी भी प्रगति होगी, उन्नति होगी। उन्होंने याद दिलाया कि आज के माहौल में, दुनिया के सभी देशों को, सभी सरकारों को, सभी पंथों को, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बहुत ज्यादा जरूरत है। शांति-भाईचारा और परस्पर आदर का भाव ही मानवता की सच्ची पहचान है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद-हिंसा से कभी भी, किसी का कल्याण नहीं हो सकता।

इसी क्रम में हाल ही में ये भी खबर आई थी कि मध्य प्रदेश के रायसेन में बेतवा नदी के किनारे भोजपुर गाँव में स्थित शिव मंदिर (उत्तर का सोमनाथ) का पुराना वैभव फिर से लौट कर आने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके बचे हुए निर्माण-कार्य को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजा भोज ने इस्लामी आक्रांता महमूद गजनवी से बदला लेने के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था। विजय के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। भोपाल से भोजपुर की दूरी 32 किलोमीटर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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