प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (25 सितंबर, 2021) को न्यूयॉर्क में ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA)’ को सम्बोधित करते हुए आचार्य चाणक्य को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था – ‘कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति।’ अर्थात, जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है। UN को खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए उसे अपनी प्रभावशीलता व विश्वसनीयता पर काम करना होगा।
उन्होंने विश्व समुदाय को बताया कि बीते 7 वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया है। 36 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को बीमा कवच मिला है जो पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे। 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ देकर उन्हें क्वालिटी हेल्थ से जोड़ा गया है। उन्होंने UN को नसीहत दी कि कोरोना महामारी के दौरान और जलवायु संकट के दौरान देखा है, जो अफगानिस्तान के ताज़ा हालात के बाद और गहरा हो गया है।
उन्होंने समुद्रों को हमारी साझी विरासत बताते हुए कहा कि हमें उनका उपयोग करना चाहिए, दुरुपयोग नहीं। उन्होंने उन देशों को भी चेताया जो आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे देश समझ लें, आतंकवाद उनके लिए भी इतना ही बड़ा खतरा है। उन्होंने इसे सुनिश्चित करने पर बल दिया कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए न हो।
उन्होंने कहा, “हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहाँ की नाजुक स्थिति का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। इस समय अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत है, इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।” प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने विश्व को ये भी सबक दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब और अधिक विविधतापूर्ण किया जाए।
इसके लिए उन्होंने इसके लिए ‘Global Value Chains‘ के विस्तार को आवश्यक बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को बताया कि हमारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान इसी भावना से प्रेरित है। उन्होंने अतिवादी और कट्टरवादी सोचों का प्रभाव बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में पूरे विश्व को विज्ञान पर आधारित तर्कसंगत और प्रगतिशील सोच को विकास का आधार बनाना ही होगा।
उन्होंने दुनिया को याद दिलाया कि कैसे कम संसाधनों के बावजूद हमारा देश ‘सेवा परमो धर्मः’ का अनुसरण करते हुए कोरोना टीकाकरण के विकास और इसके उत्पादन में जी-जान से जुटा है। उन्होंने दुनिया की पहली DNA वैक्सीन तैयार करने की खबर देते हुए बताया कि इसे 12 वर्ष की आयु से अधिक के सभी लोगों को लगाया जा सकता है। उन्होंने जानकारी दी कि भारत ने मानवता को ध्यान में रखते हुए देशों को वैक्सीन की सप्लाई फिर शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है, ऐसे में जब भारतीयों की प्रगति होती है तो विश्व का विकास होता है। उन्होंने प्रदूषित पानी को गरीबों के लिए एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि हमने 17 करोड़ घरों तक पाइप से स्वच्छ जल पहुँचाने का लक्ष्य ले रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास सर्वसमावेशी, सर-पोषक, सर्व-स्पर्शी और सर्व-व्यापी हो – यही हमारी प्राथमिकता है