शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार (19 जुलाई 2022) को एकनाथ शिंदे गुट के नेता राहुल रमेश शेवाले को सदन में शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दे दी।
अब लोकसभा में शिवसेना के नेता राहुल शेवाले होंगे, जबकि भावना गवली चीफ व्हिप बनी रहेंगी। लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में सर्कुलर भी जारी कर दिया है। इसमें शिवसेना नेता के रूप में राहुल रमेश शेवाले का नाम दर्ज है।
Shiv Sena – done and dusted pic.twitter.com/axuSQeL6Xa
— Rishi Bagree (@rishibagree) July 19, 2022
लोकसभा स्पीकर के पास शिंदे और ठाकरे दोनों गुट की तरफ से आवेदन आए थे। बता दें कि लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसद हैं, जिनमें से 12 सांसद शिंदे के साथ हैं। इन 12 लोकसभा सदस्यों ने संसदीय दल के नेता को बदलने के लिए अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा था। राहुल शेवाले ने कहा था कि कई सदस्य सदन के नेता विनायक राउत के काम से खफा थे। इसलिए स्पीकर को सदन का नेता बदलने के लिए लिखा गया था। उन्होंने कहा था कि चीफ व्हिप भावना गवली ही रहेंगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
इससे एक दिन पहले सोमवार (18 जुलाई 2022) को पार्टी के सदन के नेता विनायक राउत ने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था जिसमें विरोधी खेमे से कोई ज्ञापन स्वीकार नहीं करने का अनुरोध किया गया था। राउत ने सोमवार रात अध्यक्ष को सौंपे गए अपने पत्र में स्पष्ट किया था कि वह शिवसेना संसदीय दल के विधिवत नियुक्त नेता हैं और राजन विचारे चीफ व्हिप हैं।
इसके बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे सहित शिवसेना के बारह लोकसभा सदस्यों ने ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता को बदलने का अनुरोध किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रतिद्वंद्वी गुट के किसी भी निवेदन पर विचार नहीं करने के लिए कहा था। वहीं दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शेवाले ने कहा, “पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे NDA के साथ फिर से जुड़ने के इच्छुक थे, लेकिन अपनी बात से मुकर गए।”
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में आज (20 जुलाई 2022) फिर महाराष्ट्र के विधायकों की अयोग्यता के मामले पर सुनवाई होगी। विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच सुनवाई करेगी। शिवसेना के दोनों खेमे ने याचिका दाखिल कर विधायकों को अयोग्य ठहराने की माँग की है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर अयोग्यता नोटिस पर तब तक फैसला नहीं कर सकते जब तक कि अदालत उस पर फैसला न दे।