कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने धर्म परिवर्तन पर बड़ा बयान दिया है। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के उधमपुर जिले में शनिवार (25 दिसंबर 2021) को क्रिसमस समारोह में शामिल हुए आजाद ने कहा:
”लोग स्वेच्छा से धर्मांतरण कर रहे हैं, ना कि तलवार की नोक पर। किसी व्यक्ति का अच्छा चरित्र, उसके अच्छे काम से ही लोग प्रेरित होकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। लोग किसी से प्रभावित होकर या प्रेरित होकर ही धर्म परिवर्तन कराते हैं। लोगों को लगता है कि कोई विशेष धर्म मानवता की सेवा कर रहा है, हर किसी को साथ लेकर चल रहा है, लोगों के बीच भेदभाव नहीं कर रहा है तो वह धर्म परिवर्तन कराते हैं।”
कॉन्ग्रेस नेता ने यह बयान क्रिसमस पर कुछ लोगों द्वारा धर्म परिवर्तन कराने और ईसाई धर्म अपनाने की बात पर बोलते हुए दिया है। इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने यह भी कहा, “जम्मू-कश्मीर तत्कालीन महाराजा (पूर्व डोगरा शासकों) के दौर में आज की तुलना में कहीं बेहतर था। एक महाराज जिसको हम तानाशाह कहते थे, वंशवादी या निरंकुश शासक कहते थे, वो आज के वक्त के हिसाब से लोगों की भलाई के लिए ज्यादा अच्छा सोचते थे। लेकिन वर्तमान सरकार ने तो तीनों चीजें ले लीं।”
If anyone is converting people, he is not using a sword. It is good work & character of individuals which influence others to convert. People convert when they see a particular religion serving humanity & not discriminating: Senior Congress leader Ghulam Nabi Azad in J&K (25.12) pic.twitter.com/bDRimH4u9H
— ANI (@ANI) December 25, 2021
कॉन्ग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने धर्मांतरण की बात के बाद महाराजा और उसके बाद राजनीति पर आते देर नहीं की। उन्होंने कहा कि पिछले ढाई साल में जम्मू-कश्मीर में व्यापार और विकास में गिरावट आई है। गरीबी बढ़ रही है। दरबार मूव प्रथा के खत्म होने का विरोध करते हुए भाजपा पर हमला भी बोला।
गुलाम नबी आजाद के अनुसार महाराजाओं का निरंकुश शासन वर्तमान सरकार की तुलना में कहीं बेहतर था, उस वक्त सरकारी कार्य दरबार मूव के तहत किए जाते थे। लेकिन इस साल जून में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। आजाद ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मैं हमेशा दरबार मूव का समर्थन करता था। महाराजाओं ने हमें तीन चीजें दी थीं, जो कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों की जनता के हित में थीं और उनमें से एक दरबार मूव भी था।”
क्या है दरबार मूव प्रथा?
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस साल जून में राज्य में 149 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा (Darbar Move) को खत्म कर दिया था। हर 6 महीने में राज्य की दोनों राजधानियों जम्मू और श्रीनगर के बीच होने वाले ‘दरबार मूव’ से हर साल 200 करोड़ रुपए खर्च होते थे।
दरबार मूव मतलब मौसम बदलने के साथ हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर की राजधानी भी बदल जाती थी। 6 महीने राजधानी श्रीनगर में रहती थी और 6 महीने जम्मू में। राजधानी बदलने पर जरूरी कार्यालय, सिविल सचिवालय वगैरह का पूरा इंतजाम जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू ले जाया जाता था। इस प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है।
जम्मू-कश्मीर में राजधानी बदलने की यह परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। गुलाब सिंह महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे। हरि सिंह के समय ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था।