गुपकार गठबंधन (Gupkar alliance) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गुपकार के नेता और पीपल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन ने गठबंधन से किनारा कर लिया है। सज्जाद लोन ने इस बाबत गुपकार गठबंध के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला को पत्र लिखा है। जिसमें सज्जाद लोन ने कहा कि वह गठबंधन छोड़ रहे हैं क्योंकि अन्य दलों ने हालिया डीडीसी चुनावों में उनकी पार्टी के खिलाफ प्रॉक्सी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।
पत्र में सज्जाद लोन ने लिखा, “हमारे लिए यह मुश्किल है कि हम इस पर बने रहें और दिखावा करें जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ है। पार्टनर्स के बीच विश्वास का उल्लंघन हुआ है, जो कि हमारे विचार से परे है। हमारी पार्टी में प्रमुख दृष्टिकोण यह है कि हमें गठबंधन करने के लिए चीजों की प्रतीक्षा करने के बजाय सौहार्दपूर्ण तरीके से गठबंधन से बाहर निकलना चाहिए।”
गौरतलब है कि पिछले दिनों उनकी पार्टी के सीनियर नेताओं ने उन्हें पत्र लिखा था। इसमें उन्हें कहा गया कि गुपकार में रहने से उन्हें नुकसान हुआ है। ऐसे में वह गुपकार गठबंधन से किनारा कर लें। इसके बाद से लोन की तरफ से पिछले कुछ दिनों से कोई बयान नहीं आया था। गुपकार के नेताओं से भी मुलाकात नहीं की गई थी। मगर अब सज्जाद लोन ने स्पष्ट कर दिया है कि वो गुपकार गठबंधन के सदस्य नहीं हैं।
बहरहाल, आखिरकार वही हुआ, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। जिला विकास परिषद के चुनाव संपन्न होने के बाद ही गुपकार गठबंधन बिखरने लगा है। उन्होंने घटकों में जारी वर्चस्व का खुलासा करते हुए कहा कि कोई भी घटक दल किसी दूसरे को नहीं देखना चाहता है। बता दें कि इसके घटकों में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और माकपा शामिल है।
उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा, “इस गठबंधन को बलिदान की आवश्यकता थी। गठबंधन चलाने के लिए सभी दलों को दूसरे दलों को जगह देने की जरूरत होती है। लेकिन गुपकार में कोई सहयोग नहीं कर रहा है। कोई भी दल दूसरे को जगह देने को तैयार नहीं है, कोई भी पार्टी कुछ छोड़ने को तैयार नहीं है। हमने कश्मीर में चुनाव के दौरान एक दूसरे के खिलाफ ही लड़ाई लड़ी, न कि 5 अगस्त (5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 का उन्मूलन) के अपराधियों के खिलाफ।
एक नेता के अमित शाह से मिलने की आई थी खबर
पिछले दिनों गुपकार गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की खबर सामने आई थी। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री बशारत बुखारी ने गठबंधन के एजेंडे पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए चुनाव के बाद एलायंस को अपना रोड मैप स्पष्ट करना चाहिए था। उसके बिना तो गुपकार गठबंधन एक और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस बनकर रह जाएगा।
गौरतलब है कि गुपकार गठबंधन का गठन पिछले साल अक्टूबर में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को बहाल करने के उद्देश्य से किया गया था। जिसे 5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। डीडीसी चुनाव में 110 सीटें गुपकार ने जीती। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।