मंगलवार (जून 18, 2019) को संसद सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में उस वक्त हंगामा तेज हो गया, जब सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने शपथ लेने के बाद वंदे मातरम को इस्लाम के खिलाफ बताते हुए ऐसे नारे न लगाने की बात कही। रहमान के इस बयान के बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ, जिसकी वजह से शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कुछ देर के लिए टालना पड़ा। सत्र की शुरुआत के पहले दिन से ही सत्ताधारी दल के सांसद सदन के भीतर वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं।
#WATCH: Slogans of Vande Mataram raised in Lok Sabha after Samajwadi Party’s MP Shafiqur Rahman Barq says, “Jahan tak Vande Mataram ka taaluq hai, it is against Islam we cannot follow it” after concluding his oath. pic.twitter.com/8Sugg8u8ah
— ANI (@ANI) June 18, 2019
दरअसल, लोकसभा में उत्तर प्रदेश से निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जा रही थी। इस कड़ी में लोकसभा महासचिव ने संभल से चुने गए सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क को शपथ दिलाई। उर्दू में शपथ लेने के बाद बर्क ने कहा कि भारत का संविधान जिंदाबाद लेकिन जहाँ तक वंदे मातरम का सवाल है यह इस्लाम के खिलाफ है और वो इसका पालन नहीं कर सकते। सांसद के यह कहते ही सदन में और जोर-जोर से वंदे मातरम का नारा लगने लगा। अन्य सांसदों ने शफीकुर्र रहमान बर्क के इस बयान के लिए उनसे माफी की माँग कर दी। ये सब कुछ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुआ।
शफीकुर्रहमान बर्क के इस बयान पर भाजपा सांसद और संघ विचारक राकेश सिन्हा ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि शफीकुर्रहमान बर्क की मानसिकता आजादी से पहले मुस्लिम लीग वाली है। इनके जैसे लोगों के लिए देश में जगह नहीं।
गौरतलब है कि, शफीकुर्रहमान बर्क पहले भी वंदे मातरम का विरोध कर चुके हैं। 2013 में बीएसपी सांसद रहते हुए उन्होंने वंदे मातरम का बहिष्कार करने के लिए संसद से वॉकआउट किया था। इससे पहले बर्क ने 1997 में संसद के 50 साल पूरे होने पर आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में भी वंदे मातरम का बहिष्कार किया था। इसको लेकर तब उनका तर्क था कि वंदेमातरम का मतलब भारत माता की पूजा या वंदना करना है और इस्लाम में पूजा करना जायज नहीं है। जिसकी काफी आलोचना हुई थी।