मोदी सरकार ने शेहला रशीद की दोनों इच्छाएँ पूरी कर दी हैं। अगर आपको लगता है कि हम मजाक कर रहे हैं तो आप ग़लत हैं। दरअसल, ट्विटर पर शेहला रशीद ने राम मंदिर को लेकर कई बार टिप्पणी की थी। जेएनयू की छात्र नेता रहीं शेहला ने जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी क़दम रखा था लेकिन अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त होने के कारण उन्हें राजनीति से सन्यास लेना पड़ा। इसके लिए उन्होंने लम्बा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिख कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। अगर अनुच्छेद 370 की बात करें तो इसके हटने के पहले भी वह कई बार इसके लिए सरकार पर निशाना साध चुकी थीं।
शेहला रशीद ने एक बार ट्वीट कर के कहा था:
“अयोध्या में कॉर्पोरेटर, विधायक और सांसद- सभी भाजपा के हैं। राज्य में भी भाजपा की सरकार है। केंद्र में तो भाजपा की सरकार है ही। तो फिर राम मंदिर क्यों नहीं बना? अगर ये चुनावी मुद्दा है तो जनता को भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए।”
अब शेहला रशीद की इच्छा पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए पूरी की पूरी विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया है। मुस्लिम पक्ष का वहाँ किसी प्रकार का स्वामित्व नहीं है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिमों को अयोध्या में ही कहीं और 5 एकड़ ज़मीन दी जाए। इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार से एक ट्रस्ट बना कर मंदिर निर्माण के सम्बन्ध में योजना बनाने को कहा गया है। यानी, मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट योजना बनाएगा।
इस तरह से राम मंदिर के निर्माण का कार्य भी मोदी सरकार करेगी और शेहला रशीद की ये इच्छा भी पूरी हो जाएगी। शेहला ने एक बार और किसी व्यक्ति को जवाब देते हुए कहा था कि ‘राम मंदिर ले लो।’ शेहला रशीद अक्सर राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार और मोदी समर्थकों पर कटाक्ष करती रहती हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने शेहला रशीद की उन ट्वीट्स को जम कर शेयर किया और उन्हें याद दिलाया कि उनकी इच्छा पूरी हो गई है।
इतना ही नहीं, अनुच्छेद 370 को लेकर भी शेहला रशीद मोदी सरकार पर तंज कसती रहती थीं। शायद उन्हें ऐसा लगता था कि बाकि सरकारों की तरह इस बार भी सिर्फ़ बातें ही की जाएँगी और एक्शन नहीं लिया जाएगा। अनुच्छेद 370 के बारे में शेहला ने कहा था:
“अरे ट्रोल्स की ही तो हुकूमत चल रही है। बोलो ट्रोल्स के पापा से कि हिम्मत है तो हटा के दिखाए अनुच्छेद 370।”
भले ही शेहला रशीद जैसे लोग राम मंदिर और अनुच्छेद 370 हटाने के कट्टर विरोधी रहे हों लेकिन वो समझते थे कि भाजपा के कार्यकाल में यह सब नहीं हो पाएगा। उन्होंने इसे राजनीतिक जुमला समझने की भूल की। अब इस भूल का परिणाम सामने है। शेहला के पास शायद ही अब बोलने के लिए शब्द हों।