महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर खींचतान और बढ़ गई है। सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबरें आ रहीं हैं कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की माँग और 50-50 फॉर्मूले को लेकर अडिग रहने पर शिव सेना अपने मुख्यमंत्री की सरकार बनाने के लिए शारद पवार की नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सहायता भी ले सकती है।
डीएनए में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए इस संभावित सरकार को कॉन्ग्रेस का अभी समर्थन बाहर से प्राप्त होगा। डीएनए के शिव सेना सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के साथ सभी तरह की बातचीत अब बंद हो चुकी है और पार्टी अब प्लान बी की तरफ चल रही है।
Maha impasse: Shiv Sena moves ahead with Plan B, next 48 hours crucial https://t.co/E5gQDtjNv8
— DNA (@dna) November 5, 2019
कॉन्ग्रेस का सहयोग इस प्लान के लिए इसलिए ज़रूरी है कि सरकार बनाने के लिए ज़रूरी बहुमत (145) शिव सेना और एनसीपी को मिलाकर भी नहीं बनेगा। शिव सेना के जहाँ 56 विधायक जीते हैं वहीं 54 विधायक एनसीपी के इस लोकसभा चुनाव में विजयी हुए हैं। भाजपा 105 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और कॉन्ग्रेस के 44 विधायक सदन में होंगे। यानि कॉन्ग्रेस+एनसीपी+शिव सेना का कुल आँकड़ा 153 का बनेगा।
इसके लिए अगर यह गठबंधन बनता है तो शिव सेना अपने केंद्रीय मंत्रियों को भी मोदी सरकार से इस्तीफ़ा देने के लिए कहेगी। डीएनए की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस सरकार की राह प्रशस्त करने के लिए शरद पवार सोनिया गाँधी से मिले थे। कथित तौर पर यह मुलाकात कल (सोमवार, 5 नवंबर, 2019 को) हुई थी।
इससे पहले शिव सेना नेता और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने शनिवार (2 नवंबर, 2019 को) को कहा था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी पार्टी की माँग उचित है और भाजपा से साथ सत्ता साझा करने का आधार जीती गई सीटों की संख्या नहीं, बल्कि चुनाव से पहले हुआ समझौता होना चाहिए।
राउत ने एक समाचार चैनल से कहा कि सरकार का गठन (चुनाव से पहले भाजपा और शिवसेना के बीच) पहले बनी सहमति के आधार पर होना चाहिए न कि इस आधार पर कि सबसे बड़ा एकल दल कौन-सा है।
उसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के पास 170 से ज्यादा विधायकों का समर्थन होने का दावा कर दिया। उनके मुताबिक ‘महाराष्ट्र के हित में’ शिवसेना के साथ कॉन्ग्रेस और एनसीपी आने को तैयार थे।