एक ओर जहाँ निर्वाचन आयोग पूरी सख्ती के साथ किताबों का विमोचन रोकने और फिल्मों/वेब सीरियलों को प्रतिबंधित कर रहा है, वहीं आयोग के विशेष पर्यवेक्षक का कहना है कि बंगाल 15 साल पहले का बिहार बनता जा रहा है जहाँ जंगलराज चलता था। पर्यवेक्षक के अनुसार लोगों को पुलिस पर भरोसा नहीं है और 92 फीसदी के करीब मतदान केन्द्रों पर निष्पक्ष वोटिंग के लिए केन्द्रीय बलों की तैनाती होगी। यह बयान देने वाले चुनाव आयोग के विशेष पर्यवेक्षक अजय वी नायक पूर्व में बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) रह चुके हैं।
बंगाल के सीईओ के सामने दिया बयान
पश्चिम बंगाल के सीईओ आरिज आफताब उस समय मौके पर मौजूद थे जब 1984 बैच के आईएएस नायक ने यह बात कही। नायक को पश्चिम बंगाल में अंतिम पाँच चरणों के चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालात बिहार के 15 साल पुराने जैसे हालात की तरह हैं। बिहार में उस समय सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की जरूरत पड़ती थी। अब ऐसी जरूरत पश्चिम बंगाल में पड़ती है, क्योंकि राज्य के लोगों को पश्चिम बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं रहा और वे सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहे हैं।’
नायक ने यह भी जोड़ा कि आगामी तीसरे चरण के दौरान केन्द्रीय बलों की तैनाती 92% से अधिक मतदान केन्द्रों पर होगी। गौरतलब है कि 324 कंपनियों की आवश्यकता महज 5 लोकसभा क्षेत्रों बलूरघाट, मालदा उत्तरी, मालदा दक्षिणी, जांगीपुर और मुर्शिदाबाद के लिए पड़ रही है।
चुनाव अधिकारी हो चुके हैं लापता, हटाए गए मालदा के पुलिस कमिश्नर
पश्चिम बंगाल में अराजकता का माहौल किस हद तक है इसका अंदाजा इस एक घटना से लगाया जा सकता है कि वहाँ चुनाव कराने में तैनात एक नोडल अधिकारी ही लापता हो गए हैं। अर्णब रॉय नादिया जिले की राणाघाट लोकसभा सीट के लिए गत 18 अप्रैल को हुए चुनाव के सिलसिले में बिप्रदास पाल चौधरी पॉलिटेक्निक कॉलेज पर तैनात किए गए थे। वह वीवीपैट और ईवीएम के इंचार्ज थे।
वह करीब 2 बजे दोपहर के भोजन के लिए गए और उसके बाद से लापता हैं। शुरू में उनकी गुमशुदगी को उनके निजी जीवन से जोड़ने की भी कोशिश की गई थी। वहीं चुनाव आयोग ने पुलिस कमिश्नर अर्णब घोष को हटाकर उनकी जगह अजय प्रसाद को मालदा जिले का पुलिस कमिश्नर बनाया है। कथित तौर पर तृणमूल के करीबी घोष को हटाने की माँग भाजपा की राज्य इकाई ने की थी।