अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा कई दशकों तक अदालत में रहा लेकिन अंततः उस पर आदेश आया। लेकिन देश में इस श्रेणी के कई धर्म संगत मुद्दे हैं जिन पर विवाद का हल अभी तक नहीं निकला है। ऐसा ही एक विवादित मुद्दा है काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देव दीवाली के मौके पर आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हैं और इसी बीच भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने काशी विश्ववनाथ की मुक्ति का मसला उठाया है। उन्होंने कहा है कि औरंगजेब ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी, उसके स्थान पर दोबारा काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
The present Kashi Vishvanath temple in Varanasi was built by Holkar Kingdom Rani Ahilyabhai because she could not see the early possibility of recovering the Gyanvapi Kashi Vishvanath Mandir site where a masjid had been built on order of Aurangzeb. But we must now recover it
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 30, 2020
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, “वाराणसी के वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण होलकर साम्राज्य की रानी अहिल्याबाई ने करवाया था। क्योंकि वह उस स्थान पर ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर की पुनर्स्थापना की प्रारंभिक संभावना नहीं देख सकती थीं जहाँ औरंगजेब के आदेश पर मस्जिद निर्माण हुआ था। लेकिन अब हमें इसको वापस हासिल करना होगा।”
हाल ही में काशी में बाबा विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के सम्बन्ध में सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने जिला जज की अदालत में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे मुक़दमे को चुनौती दी गई थी। याचिका को स्वीकार कर लिया गया था। हालाँकि, कोर्ट ने देर से याचिका दायर करने के लिए बोर्ड पर 3000 रुपए का जुर्माना भी लगाया था।।
मुग़ल आक्रान्ताओं के भारत में दाखिल होने के बाद से काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण शुरू हो गए थे। सबसे पहला आक्रमण 11वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने किया था और इसमें मंदिर का शिखर पूरी तरह टूट गया था फिर भी मंदिर प्रांगण में पूजा पाठ जारी था। 1585 में राजा टोडरमल ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था, लेकिन 1669 में औरंगजेब ने इस मंदिर को पूरी तरह तोड़ दिया था। इसके बाद ठीक उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण भी कराया था। 1780 के दौरान मालवा की रानी अहिल्याबाई ने ज्ञानवापी परिसर के ठीक बगल में नए मंदिर का निर्माण कराया था, जिसे आज काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।