ऐसा लग रहा है कि देश की सत्ता पर सबसे ज़्यादा समय तक काबिज रही कॉन्ग्रेस के बुरे दिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक ओर शरद पवार के ताज़ा दाँव से महाराष्ट्र में उसे मुफ्त में मिलने जा रही सत्ता की मलाई एक बार फिर छटकती दिख रही है, दूसरी ओर उसके अंतिम गढ़ों में से एक मध्य प्रदेश और अधिक दरक रहा है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी में प्रभुसत्ता के लिए चुनौती होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में आवाज़ें मुखर होने लगीं हैं। सिंधिया के पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच कॉन्ग्रेस के पुराने और निष्ठावान विधायक माने जाने वाले सुरेश राठखेड़ा ने ऐलान किया है कि अगर सिंधिया राजवंश के वारिस और गुना के ‘महाराज’ माने जाने वाले पूर्व सांसद ने पार्टी बनाई तो वे (राठखेड़ा) उस पार्टी के पहले सदस्य बनेंगे।
A NEW PARTY WILL BE FORMED in #MadhyaPradesh soon will be called Madhya Pradesh Vikas Congress
— Chayan Chatterjee (@Satyanewshi) November 27, 2019
Will be first to join Jyotiraditya Scindia if he launches a new party: Loyalist Congress MLA Suresh Rathkheda https://t.co/aDH0p4nz72
हालाँकि, राठखेड़ा ने साथ में यह भी कहा कि ऐसी नौबत नहीं आनी है कि “श्रीमंत महाराज साहब” अपनी एक अलग पार्टी बनाएँ क्योंकि वे कॉन्ग्रेस छोड़ने ही नहीं वाले, लेकिन उनके बयान को मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस में गहराती अंतर्कलह और प्रदेश अध्यक्ष-सीएम की दोहरी कुर्सी पर काबिज़ कमलनाथ को घेरने की सिंधिया गुट की कोशिशों से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। राठखेड़ा ने यह भी कहा कि पार्टी के लचर संगठन को ताकत देने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेतृत्व की जरूरत है।
कुछ दिन पहले सिंधिया के यकायक अपने ट्विटर बायो में से कॉन्ग्रेस का नाम हटा लेने से सुगबुगाहट फ़ैल गई थी कि वे जल्दी ही अपने परिवार की पारम्परिक पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा था कि कमलनाथ-दिग्विजय सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनने से रोक रहे हैं, और उनकी बजाय मरहूम कॉन्ग्रेस नेता अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह के नाम की सिफारिश आलाकमान से कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में गुना ही नहीं, ग्वालियर, चंबल समेत पूरे राज्य में सिंधिया राजपरिवार के लिए बहुत सम्मान है। न केवल कॉन्ग्रेस विधायकों में दो दर्जन का एक बड़ा धड़ा सिंधिया के पक्ष में है, बल्कि कमलनाथ के मंत्रिमंडल के ही 5 मंत्री सिंधिया गुट के बताए जा रहे हैं। ऐसे में सिंधिया को पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर करना या फिर उन्हें हाशिए पर धकेलना कॉन्ग्रेस को महंगा भी पड़ सकता है।